Skip to main content

क्या यही वो प्यार है?


क्या यही वो प्यार है?

come back soon


कितना प्यार है तुमसे, ये कभी
आँखों में आने नहीं दिया।
होठों को इजाजत न दी
दिल को बताने नहीं दिया।


पर आज तेरी वो तस्वीर देखकर
मन और कुछ सोच न सका।
इन ख्यालों को लिखने से पहले
मैं खुद को रोक न सका।


जिस महफिल में तुम न हो,
वो भीड़ भी सूना - सूना लगता है।
तुझसे दूर तेरी तस्वीर जैसे
पानी में चाँद को छूना लगता है।


यूँ तो तेरे नाक पर गुस्सा होता है,
तब - तब इस दिल ने चोट खाया है।
पर जब - जब मुस्कुराती हो तुम,
लगता है सावन लौट आया है।


इन शरारती केशुओं को तुमने
जब - जब जूड़े में जकड़ लिया।
लगा मानो तुम्हें छेड़ने से पहले ही
किसी ने मेरे हाथों को पकड़ लिया।


झटक कर जुल्फ जब इन्हें आजाद करती हो
लगता है, तुम संग जीने का मौका पा गए हैं।
इतने सुंदर केश तुम्हारे, मानो
सावन के काले बादल फिर से छा गए हैं।


जो तुम बेधड़क मुझसे बातें करती हो,
मैं सच में शर्मा जाता हूँ।
बातों - बातों में जो करीब आ जाती हो,
जाने क्यों मैं इतना घबरा जाता हूँ?


तुम मेरे जैसी नहीं हो, पर दिल
क्यों तुमसे बात करना चाहता है?
तुम्हारे साथ ही जीवन जीना
तुम्हारे ही साथ मरना चाहता है।


तुम्हारे पास ही मेरे सवालों के जवाब हैं
और मैं अब भी अपने सवालों में उलझा हूँ।
तुम्हें खो ना दूँ, डर लगता है,
वरना इस उलझन को पलभर में सुलझा दूँ।


तुम्हारे दिल में जो आता है
तुम बोल देती हो सही - सही।
पर मेरे दिल के ढ़ाई अक्षर प्रेम के,
जुबाँ तक आते ही नहीं।


अब छुप - छुपकर तुम्हें देखने लगा हूँ
नजरें तुम पर ही आकर रुक जाती है।
और गलती से गर तुम देख लो,
तो पलकें खुद - ब - खुद झुक जाती है।


तुम्हें याद न करना चाहूँ, फिर भी हम
मिल ही जाते हैं किसी न किसी मोड़ पर।
तब मैं सब कुछ कह देता हूँ,
दिल की बातें छोड़कर।


मुझे हर जगह बस तुम ही
नज़र आने लगी हो।
दिन में, रात में, ख्वाबों में
खयालों में सताने लगी हो।


इस चाहत में ना तो इकरार है,
ना तो इज़हार है, ना ही इनकार है।


मैं जिसकी तलाश में था,
क्या यही वो प्यार है?
-दीपक कुमार साहु
Deepak Kumar Sahu
06:16:55 PM
Word Meanings
DRAWN BY AMRITA PATNAIK

  1. इजाजत - Permission
  2. खयालों - Day dreaming thoughts
  3. महफिल - Get together / hub
  4. केशुओं - Hair
  5. जुड़ा - Hair coiled up behind
  6. सूना - Emptiness
  7. झटक - jerk/wench
  8. जूल्फ - Hair
  9. बेधड़क - Without any hesitation
  10. उलझा - Entangled into trouble
  11. सुलझा - Solve
  12. जुबाँ - Tongue
  13. ढाई अक्षर प्रेम के - The word प्रेम is made up of 2.5 letters i.e. प, म & half of र
  14. ख्वाबों - dreams
  15. खयालों - day dreams
  16. इजहार - propose
  17. इंकार - refusal
  18. इकरार - Acceptance Of love. 

Comments

Popular posts from this blog

तुम, मैं और दो कप चाय।

Art By : Amrita Patnaik  दिसम्बर की ठंड और मुझसे दूर तुम। मानो खुद के ही शहर में हो गया मैं गुम। आज भी हर सुबह, वो शाम याद आए, तुम, मैं और दो कप चाय । कड़कती ठंड में भी तुम जैसे, सुबह की हल्की धूप। ढलती शाम में भी निखरते चाँद का प्रतिरूप। वो सारे शाम, जो हमने साथ बिताए, तुम, मैं और दो कप चाय । साथ चलते - चलते उस शाम, तुमने चाय की फरमाइश की। और मेरे ना कहने की तो कोई गुंजाइश न थी। बहुत खूबसूरत लगती हो जब, होठों की मुस्कान, आँखों में आ जाए, तुम, मैं और दो कप चाय । बनते चाय में आता उबाल, जैसे तुम्हारे नाक पर गुस्सा। छोटी - मोटी नोकझोंक, वो भी हमारे प्यार का हिस्सा। तेरा मुझे डाँटना, आज भी मुझे रिझाए, तुम, मैं और दो कप चाय । दोनों हाथों से चाय का गिलास पकड़कर, तुम्हारा वो प्यार से फूँक लगाना। उन प्यारी - प्यारी अदाओं से दिल में मीठा हूँक उठाना। फिर गिलास को चूमती वो गुलाबी होंठ, हाय!!!! तुम, मैं और दो कप चाय । हर चुस्की पर सुकून से तेरा, वो आँखें बंद कर लेना। और खुली आँखों से तुम्हें तकते - तकते मेरा जी...

छठ पूजा

Image Generated by Meta AI रहे दुनिया में कहीं भी पर इस दिन संग आते हैं  बिखरे बिखरे मोती छठ के धागे में बंध जाते हैं...  ये चार दिन साथ पूरा परिवार होता है,  कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है...  भोरे भोर नहाकर सब कद्दू भात खाते हैं,  सात्विक भोजन का अर्थ सारी दुनिया को समझाते हैं,  साफ़ हमारा अच्छी तरह घर द्वार होता है,  कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है...  लकड़ी के चूल्हे पर खरना का प्रसाद बनाते हैं  बच्चे बूढे रोटी खीर, केले के पत्ते पर खाते हैं  दिनभर की भूखी व्रती का ये एकमात्र फलाहार होता है  कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है...  अगले दिन, बाँस की टोकरी में सारे फल सजाते हैं  विश्व-प्रसिद्ध, सबसे स्वादिष्ट, ठेकुआ हम पकाते हैं...  पाँव में अलता और सिंदूर का श्रृंगार होता है  कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है...  मैथल - मगही में सभी लोकगीत गाते हैं  अमीर - गरीब नंगे पाँव चलके घाट आते हैं सर पर रखा दउरा जिम्मेदारी का भार होता है कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... फल फूल, धूप कपूर, घाट पर शोभ...

मेरे सपनों का भारत...

मेरे सपनों का भारत Art By Ananya Behera Drawn By : Anwesha Mishra कल रात को मैंने एक सपना देखा। सपने में वतन अपना देखा। मैंने देखा कि भारत बन गया है विकासशील से विकसित। जहाँ बच्चे से लेकर बूढ़े सभी थे शिक्षित। लोग कर चुका कर अदा कर रहे थे अपना फर्ज़। और काले धन से मुक्त होकर भारत पे नहीं था करोड़ों का कर्ज़। मेरे सपने में तो भारत अमेरिका के भी विकास के करीब था। उस भारत में, हरेक के पास रोज़गार और कोई नहीं गरीब था। जहाँ हर ओर मज़बूत सड़क, ऊँची इमारत और खेतों में हरयाली थी पर्याप्त। जहाँ विज्ञान का विकास और सर्वश्रेष्ठ थी यातायात। जहाँ उच्चतम तकनीकी विकास और विकसित था संचार। जहाँ नेता भलाई करते थे और शून्य पर था भ्रष्टाचार। मेरा सपना यहीं तक पहुँचा था कि हो गयी भोर। मेरी नींद टूट गई सुनकर गली में एक शोर। गली में कोई ऐसा गर्जित हुआ। कि स्वप्न को छोड़, वास्तविक भारत की ओर मेरा ध्यान आकर्षित हुआ। इस शोर ने मुझे देर से सोने की दे दी थी सजा। मैंने खिड़की खोलकर देखा कि शोर की क्या थी वजह? मैंन...