Art By : Ananya Behera Art By : Amrita Patnaik वो बचपने में मेरा तुझसे बार - बार लड़ना। खुद को बेहतर साबित करके तुझसे आगे बढ़ना। बड़ी देर बाद समझ में आया कि तू मुझे खुद से ज्यादा चाहती है। सच कहता हूँ दीदी तेरी, बहुत याद आती है। जब भी काम पड़े मुझे, मैं तुझे फुसलाता था। तू जब - जब मुसीबत में होती, मैं खुद को रोक न पाता था। मैं कुछ भी बोलूँ, तू मुझसे रोष नहीं जताती है। सच कहता हूँ दीदी तेरी, बहुत याद आती है। बचपन में पास बिठाकर वो तेरा मुझे पढ़ाना। मेरा सारा काम करके मुझको स्कूल ले जाना। बचपन की तरह आज भी, तू मेरे नखरे उठाती है। सच कहता हूँ दीदी तेरी, बहुत याद आती है। मेरी मनपसंद चीज़ें बना - बनाकर खिलाना। गुस्से में मार - पीटकर, बाद में आकर मनाना। आज भी कभी दुर्गा, कभी काली, कभी ममतामयी गौरी नज़र आती है। सच कहता हूँ दीदी तेरी, बहुत याद आती है। जब - जब मेरे कदम डगमगाए, तूने आकर मेरा हाथ थाम लिया। हर मुसीबत में मैंने माँ से पहले, तेरा नाम लिया। कोई मेरे साथ ना भी हो अगर, एक तू ही भरोसा जताती है। सच कहत
The 'Poet' made the 'Poem' &
The 'Poem' made the 'Poet'