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Showing posts from July, 2018

बहुत याद आती है...

Art By : Ananya Behera  Art By : Amrita Patnaik  वो बचपने में मेरा तुझसे बार - बार लड़ना। खुद को बेहतर साबित करके तुझसे आगे बढ़ना। बड़ी देर बाद समझ में आया कि तू मुझे खुद से ज्यादा चाहती है। सच कहता हूँ दीदी तेरी, बहुत याद आती है। जब भी काम पड़े मुझे, मैं तुझे फुसलाता था। तू जब - जब मुसीबत में होती, मैं खुद को रोक न पाता था। मैं कुछ भी बोलूँ, तू मुझसे रोष नहीं जताती है। सच कहता हूँ दीदी तेरी, बहुत याद आती है। बचपन में पास बिठाकर वो तेरा मुझे पढ़ाना। मेरा सारा काम करके मुझको स्कूल ले जाना। बचपन की तरह आज भी, तू मेरे नखरे उठाती है। सच कहता हूँ दीदी तेरी, बहुत याद आती है। मेरी मनपसंद चीज़ें बना - बनाकर खिलाना। गुस्से में मार - पीटकर, बाद में आकर मनाना। आज भी कभी दुर्गा, कभी काली, कभी ममतामयी गौरी नज़र आती है। सच कहता हूँ दीदी तेरी, बहुत याद आती है। जब - जब मेरे कदम डगमगाए, तूने आकर मेरा हाथ थाम लिया। हर मुसीबत में मैंने माँ से पहले, तेरा नाम लिया। कोई मेरे साथ ना भी हो अगर, एक तू ही भरोसा जताती है। सच कहत

बातों से कहूँ या अश्कों से

दिल टूटा है मेरा!! दिल टूटा है मेरा, ये खुद से मैं नहीं कहता, चुप ही रहता हूँ मैं, खुद को दिलासा देते इसी के साथ मैं रहता। दिल टूटा है मेरा , वजह मालूम है, पर फिर भी मैं सहता , दिल टूटा है मेरा ये सारा जहां मुझको कहता। हर दिन के जैसा भी वो दिन था, पर उस दिन में कुछ हुआ जैसे लगा कभी भी वो होना नामुमकिन था। दिल टूटा मेरा, उस दिल को तोड़ने के लिए ये काम उसके लिए मुश्किल था। चलो माना,मोहब्बत सिर्फ मेरी थी, वो उड़ती परिन्दी तो सिर्फ दिलाशा दे रही थी, मैं ही पागल था उसके पीछे, वो तो सिर्फ मुझे पागल समझ, मुझे वो तीन शब्द कह रही थी। कोई गिला नहीं थी  मेरी चाहत में, उसके खिलाफ न कोई भी साज़िश थी, कुछ भी न करता था ऐसा मैं, जिससे दुःख पहुँचे उसको, बस यही मेरी मुझसे फरमाइश थी। आज कल लोग कहते हैं, दिल साफ़ होना चाहिए, पर यहाँ तो चेहरों की कीमत होती है, उस दिन पता चला, मैं गैर था उसके ज़िन्दगी में, भिख माँग रहा था उसकी गिरगिट जैसे इश्क़ की, फिर भी झुका मैं बना उस एक तरफ़ा प्यार के लिए फ़क़ीर मैं। दिल टूटा मेरा उसके इस अधूरे चाहत को देख कर, पर हाँ गलती तो मेरी ही थी, जानता था इस रास्ते पे सिर्फ टूटे

अबकी बार!

अबकी बार अबकी बार शायद छू लूँ चाँद, अबकी बार शायद, हाँ शायद भर लूँ उड़ान। अबकी बार कुछ तो कर के रहूँगा, हाँ अबकी बार, शायद  कुछ के साथ '"कुछ"" के साथ कुछ तो कर लूँगा। पक्का तो पता नहीं,पर अबकी बार, सबका आया होगा, कितनी बार कितना, खुद से जताया होगा, कभी पूछा है खुद से, कि ये अबकी बार-- क्या अबकी बार है?? क्यों बार-बार ही ये अबकी बार है। अजीब है न ये अबकी बार, शायद ये सबसे बड़ा सवाल है, ये अबकी बार से पूरी इंसानियत बेहाल है! पर हाँ ये भी सच है कितनी बार, ये अबकी बार से हुआ बड़ा बड़ा बवाल है!! देती है मौके हज़ारो ज़िन्दगी हम सबको, फिर भी क्यों हम सब का ऐसा हाल है, न कभी खुद से खुश होते हैं, न खुद में कोई मिसाल है। ये अबकी बार के चक्कर में सब फैसले अब आम है! ये शायद  इंसान ही है, जो सिर्फ इस अबकी बार से परेशां है, बाकि जिन्होंने इस अबकी बार को आखरी बार मान लिया, इस अबकी बार को आखरी बार बना लिया, और फूँक दी जान, उन्होंने भर ली उड़ान। भर ली उड़ान!! अबकी बार में,, हो विश्वास, अबकी बार में जीतने की हो अगर आस, चाहे

स्याही लाए सवेरा

स्याही लाए सवेरा Art By : Amrita Pattnaik किसी महान इंसान ने सच ही कहा है कि “ कलम की धार, तलवार की धार से भी तेज़ होती है” और इतिहास में घटित कई घटनाएँ इसकी साक्षी रही हैं। इसे आप कथाकारों की लेखन शक्ति ही कह सकते हैं कि जब कोई लेखक कथा, काव्य, निबंध, गद्य में अपनी बात रखता है तो पाठक और श्रोता उन पात्रों को, उन किरदारों को स्वयं अपने समक्ष देख पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि “लिखना छलकने का दूसरा नाम है”। एक लेखक तब तक नहीं लिख सकता जब तक वो भावनाओं की असीम ताकत से पूरी तरह से भर नहीं जाता और फिर जो छलकता है, उस कलाम में इतनी शक्ति होती है कि किसी भी अंधेरे में नए सवेरे की रोशनी ला सकती है। लेखन में वो शक्ति होती है जो हमारे दुख में दबे भावों को बेड़ियों से मुक्त कर देती है। रचनाएँ, कविताएँ, गीत, ये वो कहन हैं जो हम कहना तो चाहते हैं पर कह नहीं पाते। लेखक उन्हीं भावों को शब्द रूपी नवरंग फूलों में संजोकर रचनाओं की माला में पिरो देते हैं। इसलिए उस हार को देखते ही हमारे अंदर अपनत्व की भावना उमड़ पड़ती है। एक शायर ने ठीक ही कहा था कि “शायर वो होते हैं जो आपके होठों के शब्दों क

If I Could...

If I Could…  Art By : Amrita Pattnaik  ....  I still remember the day when I was utterly broken A part of me was screaming inside A part of me was “unspoken”.  That pain was peculiar, I bet.  If I could, I would try to forget.  With shuddering lips, I said “I love her”  “How can she do this to me??”  Friends said “Indeed.  Alas! She couldn't see”.  Anger, fear, tears, everything was killing. If I could, I would channelize those feelings.  Whining voice, pale face,  A terrible situation I had been.  Haunched shoulder & wet eyes,  Only close friends had seen.  “Falling in Love” actually became a fall.  If I could, I would never recall.  I knew, it will happen one day But it happened too soon.  The pain of separation was so fierce that ‘The Castle of Love’ demolished into dune.  Yes I forgot that  the beautiful ‘moon’ controls the sea tide.  If I could, I would never walk alongside.  For days, I wept

प्यारी बातें

जब वक़्त हो और कोई पूछ ले कैसे हो, वो है प्यारी बातें, जब बेवक़्त हो और कोई कह दे कुछ नहीं होगा वो है प्यारी बातें । जब तुम खुश हो और कोई हँसके खुश हो जाये, वो है प्यारी बातें। जब तुम किस्मत को कोसो और कोई तुम्हारे हाथों को पकड़ कर थाम ले एक लम्हे के लिए ,वो है प्यारी बातें। जब तुम हो सहारा किसी का, और कोई आगे बढ़े ज़िन्दगी में, वो है प्यारी बातें। और जब तुम्हारे साथ कोई न हो, और कोई पलके झपका के तुम्हारी हँसी ले आये, वो है प्यारी बातें। जब तुम आँखें मूँद लो गम में, और कोई आँखों ही आँखों में याद हो, वो है प्यारी बातें। जब तुम टूट रहे हो,और किसी को याद कर रहे हो, और वो सामने आ जाये, वो है प्यारी बातें। और जब तुम याद करो उन सारी बातों को, जो तुम्हें खुश करे और उन्हें हमारी याद आ जाये,, वो है प्यारी बातें। -शिवा 17sept / 2016