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Showing posts from July, 2020

Payal aur Main

पायल और मैं  चौदह साल की हुई तो  मेरे बड़े होने की ख़बर उड़ी।  और तभी ये पायल  आकर मेरे दिल से जुड़ी।  पहले सिर्फ शौक था, फिर जुनून  और अब ये मेरा हिस्सा है।  जिसके सुकून के बिना जीवन जैसे  इक अधूरा किस्सा है।  जब ये मेरा शौक था,  तब श्रृंगार था।  चलते वक़्त बजते घुँघरू  मानो खुशियों का संसार था।  सबसे सुंदर हो मेरे पायल!  ये मेरा जुनून बन गया।  रफ़्ता - रफ़्ता जाने कैसे  ये मेरा सुकून बन गया।  मैं इनसे खुब खेलती हूँ,  साथी सम अपना मन बहलाती हूँ।  कभी माथे पे, कभी गले पे,  तो कभी होठों पर सजाती हूँ।  मेरे पैरों में ग़र पायल ना दिखे  तो समझ लेना मैं उदास हूँ।  हूँ तब बहुत अकेली  चाहे किसी के भी पास हूँ।  जब बड़ी हुई, घर से दूर हुई,  तब यही मेरे साथ थे।  अनजान शहर, अनजान लोग,  अनजान दिन और रात थे।  हर नाकामयाबी ने सच मुझे  अंदर से तोड़ रखा है।  पर इस पायल ने डोर बनके  मेरे कण - कण को जोड़ रखा है।  कोई मर्यादा कहता है इसे तो कोई  कहे कि बेड़ियों का धोखा है।  पर हमेशा इसने मुझे  गलत रास्तों पर जाने से रोका