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Showing posts from February, 2020

दिन ढल- ढल जाए।

ओझल - ओझल हर पल - पल सहम - सहम कर ढल - ढल जाए  ज़िन्दगी मे दिन- दिन होते ऐसे के बदल- बदल जाए। दर - दर फिरे - फिरे डर - डर  गिरे - गिरे घर - घर उमीद  हाथो से फिसल -  फिसल जाए , दिन - दिन ऐसे - ऐसे बस ढल- ढल जाए। मौके छूटते- छटते है कही निकल - निकल जाए फिर ये दिल  दुबक के , डर के सहम - सहम कर फिर से संभल - संभल जाए। कहि कही पर होनी तो होगी मंज़िल - मंज़िल जहा  ले जा रहा है ये दिल-  दिल । दिन-  दिन निकल - निकल असफलता का सफर  सफल - सफल दिन ढल -ढल  जीत - जीत है कल - कल । तू चले चल ,  दिन ढले , रातें मे बदल जाए कल। Writer  Shiva rajak 5 feb 2020 1.24 am