हर पल - पल
सहम - सहम कर
ढल - ढल जाए
ज़िन्दगी मे
दिन- दिन होते ऐसे के
बदल- बदल जाए।
दर - दर फिरे - फिरे
डर - डर
गिरे - गिरे घर - घर
उमीद
हाथो से
फिसल - फिसल जाए ,
दिन - दिन ऐसे - ऐसे बस
ढल- ढल जाए।
मौके छूटते- छटते है
कही निकल - निकल जाए
फिर ये दिल
दुबक के , डर के
सहम - सहम कर
फिर से
संभल - संभल जाए।
कहि कही
पर होनी तो होगी
मंज़िल - मंज़िल
जहा ले
जा रहा है
ये दिल- दिल ।
दिन- दिन निकल - निकल
असफलता का सफर
सफल - सफल
दिन ढल -ढल
जीत - जीत है कल - कल ।
तू चले चल ,
दिन ढले , रातें मे बदल जाए कल।
Writer
Shiva rajak
5 feb 2020
1.24 am
Wah!!!!!bhaiya.........loved it....
ReplyDeleteYou are great
Bas popat karo mera😅😆😆
DeletePopat karo !!!!!😂Matlab?????
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