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Showing posts from May, 2021

Shayari No. 28

  तेरा हँस कर मिलना मुझसे, हर बार ये उम्मीद दिलाता है कि "सब ठीक हो जाएगा" और ये उम्मीद मुझे हर बार रिश्ता तोड़ने से रोक लेता है...  -दीपक कुमार साहू 

Shayari No. 27

  वो समझोता था या था टूटने का डर? मालूम नहीं...  मैंने सवाल पूछने छोड़ दिए, अब झगड़े नहीं होते... 

Shayari No. 26

  अब हद से ना आगे बढ़ो दोस्तों,  मेरी वकालत कर ना लड़ो दोस्तों,,  उनकी याद आती है और मैं रो पड़ता हूँ,  यूँ मोहब्बत की बातें ना करो दोस्तों...  -दीपक कुमार साहू 

Shayari No. 25

  समझूँ तारीफ़ या मान लूँ तौहीन? उसका ये कहना कि  "वो बिल्कुल तुम जैसा है..." -दीपक कुमार साहू 

Shayari No. 24

  तेरे मैसेज की धीमी धुन से भी उठ जाता है,, वो लड़का जिसे अलार्म के शोर में भी सोने की आदत थी...  -दीपक कुमार साहू 

Shayari No. 23

  पहले तो मचलते ही रह गया रात भर...  फिर रोने से संभलते ही रह गया रात भर...  उसने वादा जो किया कि वो फोन करेगी,,  मैं करवट ही बदलते रह गया रात भर...  -दीपक कुमार साहू 

Shayari No. 22

कभी तुम भी हमें मना लेती  तो अच्छा लगता,, ओह... हाँ, हमने तो कभी बताया भी नहीं कि कब रूठे थे हम... -दीपक कुमार साहू 

Eid Mubarak

सब कहते थे ईद मुबारक, मैंने कुछ भी कहा नहीं था,, सब देखते थे आसमान में, मेरा चंदा जगा नहीं था,, अब जो उनका दीदार हो गया, फिर से मुझको प्यार हो गया, अब कहते हैं दिल से दिल तक,, ईद मुबारक... ईद मुबारक...  -दीपक कुमार साहू 

Shayari No. 21

  मेरा जिस्म, मेरी जान और ये मेरा दिल बगावत कर देते हैं,, मैं तुमसे जो झगड़ूँ, मेरी तबियत बिगड़ जाती है... -दीपक कुमार साहू 

Shayari No. 20

  कुछ है जो फंस के रह गया है अंदर मेरे,, बहोत दिन हो गए मैं रोया नहीं हूँ...  -दीपक कुमार साहू 

कहानी अभी खत्म नहीं हुई है - अध्याय 6

अध्याय 6   आप सभी को बता दूँ कि सिद्धार्थ मेरे बचपन का घनिष्ठ मित्र है। हम दोनों ही बारहवीं विज्ञान की परीक्षा दे कर परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे थे। इसीलिए जब पिता जी कहा कि सिद्धार्थ का फोन आया था तो मैंने कौतुहल में पूछा कब? तब उन्होंने कहा कि "जब तू सोया हुआ था तब" मैंने अपने मित्र को फोन करने की सोची। मैंने उसी कुर्सी पर बैठकर सिद्धार्थ को फोन किया। भविष्य में कहाँ पर दाखिला लेना है और किस विषय का चयन करना है, इसी विषय में बात करते करते करीब पंद्रह मिनट बीत गए। मैंने फोन रखा। पीछे मुड़ा तो देखा जीजाजी खड़े थे।  वो चुप चाप पीछे दाढ़ी बना रहे थे। उन्हें देखकर मुझे एक बात याद आई। तब मैंने उनसे पूछा कि आप सेना में किस तरह गए? क्या एन. डी. ए. की परीक्षा देकर? उन्होंने कहा हाँ।मैंने कहा कि मैंने भी एन. डी. ए. की परीक्षा दी है। उन्होंने कहा अच्छी बात है। जब तक तुम्हारा प्रशिक्षण ख़त्म होगा और तुम नौकरी कर रहे होगे तब तक हम रिटायर्ड होंगे। उनकी आवाज ऐसी लग रही थी मानो कि कोई अपने उत्तराधिकारी से बात कर रहा हो। उन्होंने मुझसे पूछा कि आगे क्या करना है? मैंने कहा कि अगर इंजीनियरिंग