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Showing posts from December, 2022

आकांक्षा

रोज नई चुनौती, उथल-पुथल, जीवन में कोलाहल चाहता हूँ  फिर भी स्वभाव, अपना मैं, निर्मल और शीतल चाहता हूँ...  गिनती में भले अधिक हो, द्वारका की नारायणी सेना,  निहत्थे कृष्ण जहाँ उपदेश दें, मैं तो वही दल चाहता हूँ  सही और गलत की, सही परख कर सकूँ, अपने अंदर ईश्वर से, बस इतनी सी अकल चाहता हूँ... कब तक ये खामोशी, चुभती रहेगी हमारे बीच  तेरे मेरे झगड़े का मैं, अंतिम कोई हल चाहता हूँ...  किसी का दमन करने का, मुझको कोई शौक नहीं पर,  आत्मरक्षा कर सकूँ, इतना तो बल चाहता हूँ...  इंसान और इंसानियत पे, फिर से भरोसा करने लगा हूँ  टूट जाऊँ फिर से, ऐसा कोई छल चाहता हूँ... पढ़कर मेरे लेखन को तुम, हँस भी दो और रो भी दो, जिंदगी में बस इक दिन, ऐसा ही एक पल चाहता हूँ... जिन लोगों ने बीते कल में, मुश्किल में भी साथ दिया  सिर्फ उन्हीं के साथ मैं अपना, आने वाला कल चाहता हूँ ...  -दीपक कुमार साहू  6th December 2022 11 : 51 PM