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Showing posts from March, 2022

बाकी है...

अभी बस दिन भर काम किया है,  अभी तो पूरी शाम बाकी है...  अभी तो चंद लोग जानते हैं मुझे, दुनिया में करना नाम बाकी है...  मैं हार जाऊँ ऐसा हो नहीं सकता,  जब तक ना जीत लूँ, कहूँगा अंजाम बाकी है...  दो मुलाकात में मुझे राम ना समझ लेना,  अंदर मेरे नटखट घनश्याम बाकी है...  दोस्त शराब पीकर चले गए, मैं बैठा रह गया,  वो आई नहीं उसके आँखों का जाम बाकी है... वो कातिल है, देख ले एक नजर तो मर जाता हूँ,  और दिल भी चुराया है, चोरी का इल्ज़ाम बाकी है  रास्ते पर तुमने नजरअन्दाज कर दिया,  अगली बार मिलना, दुआ सलाम बाकी है… याद है एक बात शुरू की थी तुमने,  उस पर पूर्ण विराम बाकी है...  "अच्छा सुनो..." कहकर तुम चुप हो गई थी,  तुम कहकर जो ना कह पाई वो पयाम बाकी है...  चंद पैसों के लिए खुद को नीलाम किया है,  वक़्त आने दो, मेरा सही दाम बाकी है...  अभी तो बस कुछ शायरी लिखी है,  लिखना पूरा कलाम बाकी है...  तुम दर्द देके अरे कहाँ चल दिये,, याद रखना मेरा इंतकाम बाकी है… -दीपक कुमार साहू  23rd March 2022

Shayari No. 71

  हो दोस्त या हो दुश्मन, सभी संग खेलते हैं,  ये होली का त्योहार है सभी रंग खेलते हैं,  क्या सोच के ना जाने दो देश युद्ध कर रहे हैं,,  जंग का शौक है तो आओ शतरंज खेलते हैं... 

Shayari No. 70

  तेरा रकीब के साथ दिखना कुछ ऐसा कर जाता है, मैं आँखें फ़ेर लेता हूँ फिर भी आँख भर जाता है लोग कहते हैं मुझे शतरंज खेलना नहीं आता,, मैं रानी को बचाने जाता हूँ, मेरा राजा मर जाता है.. 

Shayari No. 69

  ईमानदारी के रास्ते पर कई चोर पड़ जाते हैं,  हर सरकारी दफ्तर में घूसखोर पड़ जाते हैं,  कसम खाई थी सनम से अब बात नहीं करेंगे,,  वो सामने आ जाएं तो हम कमजोर पड़ जाते हैं...

Shayari No. 68

  हो मिलों की दूरी, फिर भी इंतजार में रहते हैं, दिल टूट भी जाए फिर भी प्यार में रहते हैं, सही या गलत कुछ तो किया होगा,, कुछ करने वाले ही अख़बार में रहते हैं... 

Shayari No. 67

  मैं खुदा को मानता था, शायद भूल हुई,  किसी के इंतजार में पूरी जिंदगी फिजूल हुई,  देर से ही सही कल उसका फोन आया था,,  माफ़ करना खुदा, आखिर मेरी दुआ भी कुबूल हुई.... -दीपक कुमार साहू @deepaksahusbp

The Coastal Girl

    She woke up earlier than usual today, the sky was all bright The cold was starting to disappear, and everything seemed alright Finishing up the morning tasks she reached her office soon And worked with unwavering attention till noon. Life was so good to her, she considered herself lucky She had a secure job, great colleagues, and nothing tricky. Oh! she had an office crush too whom she would admire often She craved for his attention, she longed for his glances But she never gathered the courage to tell him what she felt She believed it would look brazen.   She had some lunch, worked again and then returned, It was the same story every day, nothing different The same place, same people, same work, Even weekends were all same, nothing exceptional Watching a movie or web series was the new normal The towering flats, malls and supermarkets which were once exciting Now even they had started to get boring. For she stayed in a PG with a couple of frie

Shayari No. 66

  तुम मिले जैसे कुबूल हुई बरसों की फ़रियाद, कलम तभी उठाता हूँ, जब आती है तेरी याद, आँखें गवाह हैं, हम रोए बहुत थे,, तेरे आने से पहले,, तेरे जाने के बाद... -दीपक कुमार साहू @deepaksahusbp

Shayari No. 65

वो आती है ढेर सारी बातेँ और होठों पे मुस्कान लेकर,  दिन की थकान मीट जाती है उसे अपना शाम देकर,  उसे बताता नहीं पर मुझे तकलीफ होती है, वो जब मुझे बुलाती है, किसी और का नाम लेकर...