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Showing posts from November, 2018

आज़मा लेना।

कभी घर से अकेले बाहर निकलना, कुछ मील अपने पैरों पे चलना, उस वक़्त, गौर ये तुम करना, न हो पैसे तुम्हारे पास, और न उस वक़्त तुम्हें, अपने पापा के फ़ोन से है डरना। हवाई चप्पलों के साथ, लोगों की भीड़ के बीच, धूल भरे रास्तों में, अपनों से  मीलों दूर, असलियत की सिख सीखना समझना और सीखाना,। चलते रहना, फिर भूख जब लगे, एक पल ठहर कर इस भीड़ को परखना, कुछ अगर समझ आये उस पल, तो सेहम कर ,खुद को समेट लेना,। फिर लौट आना वापस , अपने घर ज़िन्दगी क्यों है, उस सफर के बाद, शायद तुम्हें पता चले, और तुम क्यों हो, क्या हो, और किस लिए  हो , ये भी जान लोगे, और फिर देखना, तुम बदलोगे, तुम जरूर बदलोगे, पहले खुद को एक बार जरूर आजमा लेना! Writer- Shiva rajak 21 nov 2018 7:47pm.

छठ महापर्व

Art By : Amrita Patnaik  छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष के चतुर्थी में होती है। चार दिन बाद कार्तिक शुक्ल सप्तमी को समाप्त होती है। सबसे पहले घर की पूरी साफ सफाई होती है। घर को पूरी तरह सजाया जाता है। और मांसाहारी खानपान इस दौरान पूरी तरह बंद कर दिया जाता है। सप्तमी को “नहाए खाए” पर्व पालित किया जाता है। इस दिन छठ व्रती नहा धोकर, पूरी साफ सफाई का खयाल रखते हुए खाना बनाती है और पूजा के बाद ही खाना खाया जाता है। इस दिन खाने में चावल दाल और लौकी की सब्जी बनाई जाती है। दाल भी विशेषकर चना दाल जिसमें लौकी डालकर पकाया जाता है। इसी दिन से व्रत शुरू हो जाता है क्यूँकि छठ व्रती को इसी दिन से लहसून, टमाटर, मसाले इत्यादि खाने की मनाही होती है। दूसरे दिन “खरना” का पर्व मनाया जाता है। इस दिन छठ व्रती पूरे दिन का व्रत रखती है। अन्न - जल का त्याग कर पूरे दिन वे उपवास रखती हैं। सुबह से ही छठ व्रती प्रसाद पकाती हैं। प्रसाद पकाने हेतु “गैस चूल्हा” का उपयोग नहीं किया जाता बल्कि लकड़ी चूल्हा का इस्तेमाल होता है। प्रसाद के रूप में खीर और रोटी पकाई जाती है। प्रसाद के रूप में खीर और रोटी पकाई

छठ पूजा क्यूँ मनाया जाता है?

Art By : Amrita Patnaik  इतिहासकार मानते हैं कि इंसान उन्हीं चीज़ों की पूजा करता है जिससे उसे कोई लाभ हो या जिससे उसे भय हो। उदाहरण के तौर पर सूर्य, वृक्ष, भूमि, पर्वत, गाय, तुलसी, आदि से इंसान को अनेक फ़ायदे होते हैं। इसी कारण मानव इन सभी की पूजा करता है। वहीं दूसरी ओर सर्प, ज्वालामुखी, यमराज, आदि से मानव भयभीत रहता है। इसीलिए वो इनकी पूजा करता है। हिंदू धर्म के अनुसार ये माना जाता है कि आकाश में अट्ठाइस (28) नक्षत्र और बारह (12) राशियाँ होती हैं। पृथ्वी का मौसम इन्हीं राशियों के इर्द गिर्द घूमता है। जब सूर्य मकर राशि (capricorn) में पहुँचता है तब ग्रीष्म ऋतु की शुरूआत होती है। साल के इस वक़्त देवता गण शक्तिशाली होते हैं और दानव कमजोर होते हैं। दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी। कुछ महीनों बाद जब सूर्य काल चक्र में घूमते हुए कर्क राशि (cancer) में पहुँचता है तब शीत ऋतु की शुरुआत होती है। ग्रीष्म ऋतु के विपरीत साल के इस समय दानव शक्तिशाली होते हैं और देव कमजोर। दिन छोटे होते हैं और रातें बड़ी। वातावरण में आसुरी शक्ति बढ़ने लगती है। इन्हीं शक्तियों को, इन्हीं अंधेरों को दूर करने क

I Just Wonder

From Kashmir and Ladakh in the north to Kanyakumari in the south, With Arunachal in the East to the submerged Dwarka in the west, Embracing the islands of Lakshadweep and Andaman, You are so vast , O Mother! With all sorts of altitude and terrain, With all sorts of faith and beliefs. With diversity in ethnicity , And in tongue and custom. How we still remain united by a single force, O Mother! I just wonder.. Yet there are some who still Try with all their might to weaken This force of unity and integrity. They rebel against each other On the basis of faith and religion. Not realising that we follow different paths Just to attain the same destination, Which we all seek and are taught to seek. They are ignorant of the fact That our scriptures speak of the one same God. When these evil sons of yours Pose a question mark on the secularism O Mother! I just wonder.. Then there are some who live and prosper in your bosom, Yet speak the language