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छठ पूजा क्यूँ मनाया जाता है?

Art By : Amrita Patnaik 

इतिहासकार मानते हैं कि इंसान उन्हीं चीज़ों की पूजा करता है जिससे उसे कोई लाभ हो या जिससे उसे भय हो। उदाहरण के तौर पर सूर्य, वृक्ष, भूमि, पर्वत, गाय, तुलसी, आदि से इंसान को अनेक फ़ायदे होते हैं। इसी कारण मानव इन सभी की पूजा करता है। वहीं दूसरी ओर सर्प, ज्वालामुखी, यमराज, आदि से मानव भयभीत रहता है। इसीलिए वो इनकी पूजा करता है।
हिंदू धर्म के अनुसार ये माना जाता है कि आकाश में अट्ठाइस (28) नक्षत्र और बारह (12) राशियाँ होती हैं। पृथ्वी का मौसम इन्हीं राशियों के इर्द गिर्द घूमता है। जब सूर्य मकर राशि (capricorn) में पहुँचता है तब ग्रीष्म ऋतु की शुरूआत होती है। साल के इस वक़्त देवता गण शक्तिशाली होते हैं और दानव कमजोर होते हैं। दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी। कुछ महीनों बाद जब सूर्य काल चक्र में घूमते हुए कर्क राशि (cancer) में पहुँचता है तब शीत ऋतु की शुरुआत होती है। ग्रीष्म ऋतु के विपरीत साल के इस समय दानव शक्तिशाली होते हैं और देव कमजोर। दिन छोटे होते हैं और रातें बड़ी। वातावरण में आसुरी शक्ति बढ़ने लगती है। इन्हीं शक्तियों को, इन्हीं अंधेरों को दूर करने के लिए विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। दैवीय शक्तियों का आह्वान किया जाता है। दीपक जलाकर प्रकाश किया जाता है। कई प्रमुख त्योहार इसी दौरान मनाए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर दुर्गा पूजा, दिवाली, दशहरा, छठ पूजा, इत्यादि।

छठ पूजा मनाए जाने के पीछे कई कहानियाँ प्रचालित हैं। उनमें से एक प्रमुख कहानी है राजा परिवंत की। राजा परिवंत और उनकी पत्नी मालिनी की कोई संतान नहीं थी। वो अपनी इस समस्या को लेकर महर्षि कश्यप के पास गए। कश्यप ऋषि ने यज्ञ करके पुत्र प्राप्ति हेतु मालिनी को खीर दिया। खीर का सेवन करने के पश्चात परिवंत और मालिनी को पुत्र की प्राप्ति हुई किन्तु वो पुत्र मृत पैदा हुआ। इसी से निराश होकर राजा परिवंत अपने पुत्र के मृत शरीर को लेकर शमशान की ओर चल पड़े और स्वयं भी उन्होंने अपने प्राण त्यागने का निश्चय किया। तभी वहाँ भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई। उन्होंने परिवंत को सूर्य की उपासना करने को कहा। तब जाकर सूर्य की उपासना करने पर परिवंत का पुत्र जीवित हो उठा।

एक और मान्यता के अनुसार जब सीता और राम वनवास पश्चात अयोध्या वापस लौटे तब रावण के हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए देवी सीता ने 6 दिन मुगदल ऋषि के आश्रम में रह कर छठ पूजा किया था।
एक और मान्यता के अनुसार जब पाण्डवों को वनवास हुआ था तब द्रोपदी ने वन में रह कर छठ पूजा किया था और पाण्डवों की जीत की कामना की थी और तत्पश्चात महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की जीत हुई थी।

स्कंध पुराण के अनुसार श्री कृष्ण की एक पत्नी नन्दिनी श्री कृष्ण के बेटे साम्ब पर मोहित हो गई। एक दिन नन्दिनी घूँघट में थी और साम्ब ने गलती से उन्हें लक्ष्मणा समझ कर गले लगा लिया। और नंदिनी ने इसका विरोध नहीं किया। कृष्ण ने साम्ब को नंदिनी को गले लगाते हुए देख लिया। कृष्ण अति क्रोधित हो गए।
उन्होंने क्रोध में आकर साम्ब को श्राप दे दिया कि “जिस शरीर पर तुम्हें इतना अभिमान है, उस शरीर पर चर्म रोग हो जाएगा।” कृष्ण के श्राप के कारण साम्ब को कुष्ठ रोग हो गया। इसी श्राप से मुक्ति पाने के लिए साम्ब ने सूर्य की उपासना की। सूर्य देव ने प्रकट होकर साम्ब को छठ पूजा करने को कहा। तत्पश्चात साम्ब को श्राप से मुक्ति मिली और वे पूर्णतः स्वस्थ हो गए।

छठ पूजा का जिक्र वेदों में भी है।जहाँ सूर्य की पूजन में उन्हीं विधि - विधानों का जिक्र है जिनका पालन छठ पूजा में किया जाता है। कुछ कथाकारों का मानना है कि छठी मैया सूर्य देव की बहन हैं और उषा सूर्य की छोटी पत्नी। छठ पूजा में इन दोनों की पूजा होती है ताकि इनके आशीर्वाद से परिवार में सभी स्वस्थ रहें और परिवार में सुख समृध्दि आए।

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