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Showing posts from January, 2021

Shayari No. 17

इक सितम है कि आँखें खुलते ही तुम चले जाते हो... और दफ्तर में लोग मुझसे देरी की वजह पूछते हैं...

सब कुछ छोड़कर जा रही हूँ…

एक घर है जहाँ अपने रहते हैं, एक कमरा है जहाँ सपने रहते हैं।  एक ताख है जहाँ तस्वीर रखी है,  एक टेबल है, जहाँ माँ ने खीर रखी है।  एक डॉगी है जो मुझे जान से प्यारा है,  एक टेड्डी है जो मेरा दुलारा है,  इन्हीं के संग कुछ आखिरी पल बीता रही हूँ,  मैं सब कुछ छोड़कर जा रही हूँ….  एक फ्रिज है, जहाँ से आइसक्रीम चुराती हूँ,  एक गुड़िया है जिसे कहानियाँ सुनाती हूँ।  एक दीवार है, जहाँ मेरे मेडल टंगे हैं,  एक खिड़की, एक दरवाजा है जिसे मैंने रंगे हैं।  एक गुल्लक है जिसमें पैसे जमा हैं,  एक शहर है जहाँ आज भी हसीन समा है।  इन्हीं के संग कुछ आखिरी पल बीता रही हूँ,  मैं सब कुछ छोड़कर जा रही हूँ….  एक आँगन हैं जहाँ कुछ फुल खिले हैं,  एक स्कूल है जहाँ से जीवन के उसूल मिले हैं।  एक आईना है जिसे देखकर सवरती हूँ,  एक छिपकली है जिससे आज भी डरती हूँ।  एक रसोई है जहाँ मुझे जाने से परहेज है,  एक कोना है जहाँ स्वयं महादेव हैं।  एक किताब है जिसे पूरा पढ़ा नहीं,  एक साइकिल है जिससे मन अभी भरा नहीं।  इन्हीं के संग कुछ आखिरी पल बीता रही हूँ,  मैं सब कुछ छोड़कर जा रही हूँ….  एक माँ है जो बहुत प्यार करती है,  देर तक सो

Shayari No. 16

 वो कहती है कि  "सिर्फ दुख और परेशानी में याद आती हूँ तुम्हें.." कैसे बताऊँ कि मैंने उसे  भगवान का दर्जा दे रखा है...

Shayari No. 15

 लोग कहते हैं कि मोहब्बत करने वाले अमर हो जाते हैं, वो मोहब्बत किया और मर गया...

Shayari No. 14

 मिलूंगा तुमसे तो कहूँगा क्या? पूछूँगा खैरियत? माँग लूँगा माफ़ी? या खड़े चुपचाप बंद होंठों से, रोकुंगा अपने आँसू...?