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Showing posts from May, 2022

रुख़सत

अब से पहले आँसू शराब में घुलाया ही नहीं था इससे पहले किसी ने मेरा मुँह खुलाया ही नहीं था  इस तरह जन्मदिन पर फोन किया तुमने  जैसे कभी तुमने मुझे भुलाया ही नहीं था  मिलकर भी दोस्त तुम्हारे पराई नजरों से देखते हैं ठीक तरह से तुमने मिलाया जुलाया ही नहीं था  मैंने पुकारा तुमको तो तुमने मुह फ़ेर लिया इस तरह तो किसीने रुलाया ही नहीं था  कुछ इस तरह महफिल से हमने रुख़सत कर दी जैसे इस जलसे में कभी बुलाया ही नहीं था ढक कर चादर फिर सर पर हाथ फ़ेरा माँ ने इस तरह तो किसीने सुलाया ही नहीं था…  -दीपक कुमार साहू  25/05/2022 07:00 PM