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Showing posts from October, 2021

Shayari No. 40

 तू उस तस्वीर में किसी और की बाहों में थी, बस इतना सा जहर काफ़ी था मेरे मर जाने के लिए

Shayari No. 39

 कुछ अफसोस,  कुछ लाचारी,  कुछ हँसती आँखें घूर रही हैं... इनसे पहले खुदका सामना करना चाहता हूँ, मैं ये शहर छोड़ना चाहता हूँ...

Shayari No. 38

 वो पूरा मोहल्ला जो तुझे मेरी मानता था, वहाँ रहना मेरा दुश्वार हो गया जो तूने किसी का हाथ थाम लिया,