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Showing posts from October, 2020

Shayari No - 3

 Shayari No. 3 कुछ कर्जा है तुम्हारा हम पे, वर्ना कुछ बातें ऐसी कहीं हैं तुमने कि कोई और कहता तो मुड़कर भी ना देखते उसे...

Shayari No. 2

 Shayari No. 2 हर ख्वाहिश का गला मैं खुद घोट देता हूँ,, तूने रवैय्या यूँ बदला कि तेरे एहसान अब भीख लगने लगे हैं... 

Shayari No. 1

 Shayari No. 1 तुमने मोहब्बत को यूँ अय्याशी का नाम दे दिया, कि अब मुस्कराते भी हैं तो पर्दा करते हैं...