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Showing posts from April, 2020

दो कप चाय।

दो कप चाय। चोट खाये अर्सा हुआ  दर्द अब तक काफिल है, ये गम की नदिया भरी नही  कुछ जख्म और कह रहे हमे भी तुम्हारे काफिले मे होना सामिल है। अर्ज़ किआ है, हस्तियां बनते नही युही , युही नही महल बनाने मे  ज़माने लग जाते है । कही तो ठोकर लगी होगी, कही तो सिरहाने चढ़ना हुआ होगा दुख तकलीफ आते जाते रहते है हर किसी के जीवन मे कही तो इन सब से आगे बढ़ना हुआ होगा। कद्र क्या करोगे किसी और के ज़ख्म की अभी तो तुम्हारी न खाल पूरी आयी है, ज़िन्दगी कुछ घुटों मे खत्म  होनी वाली बस दो कप चाय है। Writer  Shiva rajak 4 april 2020 12.33 am