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Showing posts from February, 2022

Shayari No. 64

   मसला ये नहीं कि रकीब तेरे पास है, मसला ये है कि उसके करीब होने पर तू कहती है : "अभी मसरूफ हूँ... तुमसे बाद में बात करती हूँ" 

Shayari No. 63

  तू लाख गलतियाँ कर, पर मुझे बतला दे, गलतियाँ सारी माफ़ है, धोखेबाजी नहीं..

Shayari No. 62

   यूँ बार बार ना रोका कर,  ठहर जाएगा एक दिन,,  बात बात पर कोसा कर,  कुछ कर जाएगा एक दिन,,  आशिक है रे तेरा, तुझसे प्यार करता है,,  कुछ कहने से पहले सोचा कर  मर जाएगा एक दिन... 

लौट आओ ना...

ये दिल मेरी सुनता नहीं, इसे तुम्हीं समझाओ ना...  तुम्हारी बड़ी याद आ रही है, लौट आओ ना...  हम जहाँ छिप छिप के मिलते थे  वो रास्ता आज भी बुलाता है...  बैठ किनारे पत्थर मारेंगे,  देखें किसका कितनी दूर जाता है  फिर से मेरे काँधे पर सर रख कर सो जाओ ना...  तुम्हारी बड़ी याद आ रही है, लौट आओ ना... एक दूसरे का हाथ पकड़ कर  फिर शॉपिंग पर चलेंगे ,  हर दुकान पर जा जाकर  कपड़े, पायल, बिंदिया, झूमके लेंगे  सब कुछ पहन कर मुझसे पूछना... "कैसी लग रही हूँ... बताओ ना?"  तुम्हारी बड़ी याद आ रही है, लौट आओ ना...  मॉल में ले जाकर वो तेरा  मेरे लिए कपड़े चुन्ना...  रातों को घंटों फोन में  तेरी आवाज में गाने सुनना..  मेरी लिए फिर से वही वाला गीत गाओ ना...  तुम्हारी बड़ी याद आ रही है, लौट आओ ना...  चौक पर गन्ने का रस  रास्ते पर नाश्ता और ढाबे का खाना  अब अकेले वहाँ स्वाद नहीं आता  ऐसा क्यूँ है बताना?    मेन्यू पढ़कर इतनी जल्दी खाना कैसे ऑर्डर करती थी तुम,  ये मुझे भी सिखाओ ना?  तुम्हारी बड़ी याद आ रही है, लौट आओ ना...  मैंने फोन में खुद से ज्यादा  तुम्हारी तस्वीर रखी हुई है... तुम्हारे हाथों का बना

Shayari No. 61

   तुम हो सामने फिर भी तुम्हारी याद आती है, .  .  .  .  शायद तुम्हारी शक़्ल में कोई और था जो मुझसे बेहद प्यार करता था... 

Shayari No. 60

   पहुँच के घर में कल ऐसा सोया, इक उम्र से नींद आगोश में लेना चाहती थी मुझे... 

Shayari No. 59

  पुराने तस्वीरों में तुम्हें खोज रहा हूँ मैं, हाथों की लकीरों में तुम्हें खोज रहा हूँ मैं,  अब जो है सामने उसे मैं जानता नहीं तुम जो थे, हाँ उसे खोज रहा हूँ मैं,