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Showing posts from April, 2019

अलविदा

A Tribute to our Teachers दोस्तों मेरे, ध्यान से देखो उस तरुवर को। ऐसा नहीं लगता कि हमारे गुरुवर हो। हमारे पेड़ रूपी गुरुओं के जीवन में हम छात्र। तो हैं केवल कुछ पक्षी मात्र। जिस तरह पेड़ की डाली पर पक्षी का डेरा होता है। ठीक उसी तरह शिक्षक के दिलों में हमारा बसेरा होता है। शीत हो या ग्रीष्म, हर मौसम की मार से से हमको बचाया था। वो पेड़ जैसे गुरु ही थे जिन्होंने हम पर छत्रछाया पहुँचाया था। होश सम्भालने के बाद इनका हम पे ऐसा हुआ असर। कि पक्षी ने पेड़ को और हमने विद्यालय को मान लिया था अपना घर। पेड़ रूपी शिक्षक ने ही सिखाया एक दूसरे से जुड़ना। दूर क्षितिज में हुनर के पंख लगाकर उड़ना। उड़ने की शुरुआती कोशिश में धीरे धीरे। जब धरातल में औंधे मुँह गिरे। तब यही था वो घर, यही था वो घोसला। जिसने वापस दिलाया, हिम्मत और हौसला। इन्हीं के कारण कई बार सफलता ने हमारे कदम चूमे। तब हमारे चहकने पर, वे भी हमारे संग झूमे। इनकी शीतल छाया हेतु कई मुसाफिर इनकी छाया में रुकते हैं। पेड़ की भाँति गुणी होने के कारण ही वे विनम्रत

वो लड़की सचमुच प्यारी है...

कोई दरिया जैसे छिपा रखा हो,, इतनी गहरी उसकी आँखें... पूरा फलक नापेगी इक दिन उड़ान भरेंगी उसकी पाखें... सबसे अलग, वो सबसे न्यारी है,, एक बात तो लिख कर ले लो,, वो लड़की सचमुच प्यारी है। जिसे चाहे अपना बना ले, इतने अच्छे हैं उसके अल्फाज़। कानों को राहत दे जाए,, इतनी सुरीली उसकी आवाज़। सबसे मीठी, सबकी दुलारी है,, एक बात तो लिख कर ले लो,, वो लड़की सचमुच प्यारी है। जिस पर हर कोई दिल हार जाए,, इतनी सुंदर उसकी हँसी। मुस्कुराते देख कर लगे जैसे,, मेरी खुशी है उसमें बसी। उसी हँसी में मैंने अपनी जान वारी है। एक बात तो लिख कर ले लो,, वो लड़की सचमुच प्यारी है। वक़्त तेज़ चलने लगता है,, जब संग मेरे हो उसका साथ। याद मुझे बस आता है वो, मेहँदी मेरी और उसका हाथ। चारों ओर बस उसका नशा, उसकी ही खुमारी है। एक बात तो लिख कर ले लो,, वो लड़की सचमुच प्यारी है। बेहद खूबसूरत लगती है, वो पायल मेरी और उसके पाँव। कभी मनाकर देखो उसे, वो नखरे उसके और उसका भाव। सबसे अलग उसकी मेरी दोस्ती यारी है,, एक बात तो लिख कर ले लो,, वो लड़की सचमुच प्यारी है। वो थक कर लौटकर आना उस तक,, वो नींद मेरी और कांधा उसका। देखा घटा का स

The TCS Girl

It was 7 in the evening and my heartbeat was raging. With passing time, I was getting restless, My eyes were constantly on Whatsapp. A call or a message I was waiting for either, But till quarter to 8, I got neither. Then a whistle sound of notification, “I have done it, will call you in sometime.” Oh! My excitement from the message knew no bounds. I was running here and there, my feet not touching ground. She called an hour later describing the interview, Of questions and enquiries and how she sailed through. The programming jargons passed over my head But her joyous voice entered my heart. I was longing to listen to these blissful words, Since the beginning of the placement season. I had tried to console her earlier, when she got rejected, But unfortunately then, I lacked sufficient reason. As she returned from Bhubaneswar a day later, We met in the evening at our college CCD And had a pleasant chatter On topics ranging from her various p

Many Happy Returns

Many Happy Returns You were born as my little brother. But always acted like an elder brother. I am nine hundred fifty six days older than you. But still two inches shorter than you. You are the one with whom I spent my childhood. We shared everything From sweetest memories to delicious food. Whenever you got chocolates, You brought half for me. You had always been “Smile, Happiness & laugh” for me. You always said “paddle as fast as you can” Sitting on my cycle’s back seat. And whenever we fell, You were the first one to beat. I can never forget the cricket matches, we played together inside our room. I still don't remember… Those 2 glasses Of cupboard were broken by whom?? Time passed & we had a lot of laughs & a lot of fights. Those slaps & punches!! We can never forget… right? Your anger was always the worst And the best thing about you. The kindness behind that rage Can only be s

चुनाव का मौसम

चुनाव का मौसम कई शहरों में आया है। आने वाली बर्बादी को, नए चेहरों में लाया है। हर गली सजी - धजी है। आता जाता हर दल का मोर्चा है। हर अखबार में इन नेताओं के किए कांड का चर्चा है। झूठे कसमें वादे करके, जुटा रहे हैं वोट। मतदाता के ईमान को खरीद कर लुटा रहे हैं नोट। मंच पर सबसे ऊँचा बना है, नेताजी का अनूठा आसान। जिस पर से वे चिल्ला - चिल्लाकर दे रहे झूठा आश्वासन। चुनाव में भी चुनाव कर पाना, मुश्किल हो पड़ा है। एक तरफ मवाली, एक तरफ गुंडा तो एक तरफ चोर खड़ा है। माना कि ये नेता 15 अगस्त को तिरंगे के सामने नमन करते हैं। उसी देश में दीमक की तरह, घोटाले और गबन करते हैं। सत्ता में आकर नेता, तेल, प्याज, पेट्रोल के दामों को बढ़ाते हैं। अपने वादों के विरुद्घ, गरीबी के बजाए गरीबों को हटाते हैं। चुनाव के पहले हैं, वोटों के भिखारी। चुनाव के बाद बनेंगे, नोटों के व्यापारी। खादी और टोपी पहनकर, जब निकलेगा ये शैतान। तब गाँधीजी के आदर्शों का हो जाएगा अपमान। गाड़ी में बैठकर जाएँगे संसद पहनकर कुर्ता और पजामा। नहीं करेंगे क