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चुनाव का मौसम


चुनाव का मौसम
कई शहरों में आया है।
आने वाली बर्बादी को,
नए चेहरों में लाया है।

हर गली सजी - धजी है।
आता जाता हर दल का मोर्चा है।
हर अखबार में इन नेताओं के
किए कांड का चर्चा है।

झूठे कसमें वादे करके,
जुटा रहे हैं वोट।
मतदाता के ईमान को खरीद कर
लुटा रहे हैं नोट।

मंच पर सबसे ऊँचा बना है,
नेताजी का अनूठा आसान।
जिस पर से वे चिल्ला - चिल्लाकर
दे रहे झूठा आश्वासन।

चुनाव में भी चुनाव कर पाना,
मुश्किल हो पड़ा है।
एक तरफ मवाली, एक तरफ गुंडा
तो एक तरफ चोर खड़ा है।

माना कि ये नेता 15 अगस्त को
तिरंगे के सामने नमन करते हैं।
उसी देश में दीमक की तरह,
घोटाले और गबन करते हैं।

सत्ता में आकर नेता, तेल, प्याज, पेट्रोल के
दामों को बढ़ाते हैं।
अपने वादों के विरुद्घ, गरीबी के बजाए
गरीबों को हटाते हैं।

चुनाव के पहले हैं,
वोटों के भिखारी।
चुनाव के बाद बनेंगे,
नोटों के व्यापारी।

खादी और टोपी पहनकर,
जब निकलेगा ये शैतान।
तब गाँधीजी के आदर्शों का
हो जाएगा अपमान।

गाड़ी में बैठकर जाएँगे संसद
पहनकर कुर्ता और पजामा।
नहीं करेंगे कोई काम,
केवल मचाएँगें हंगामा।

यह परिस्थिति है हर दल की
ये कहानी है दलदल की।

काश इस दलदल से,
कोई कमल उत्पन्न हो।
जिसकी छवि अच्छी,
विमल और संपन्न हो।

काश इस देश का कार्यभार उस काँधे में जाए,
जो इरादों से जवाँ हो।
जिसकी नीतियाँ नई, सोच नई
जो बूढों के बीच युवा हो।

पर लगता नहीं ये दलदल कभी वो
कमल खिला सकेगा।
राजनीति को भ्रष्टाचार से
मुक्ति दिला सकेगा।

क्यूँकि ये नेता काले धन के
सुख में मस्त हैं।
और देश के युवा
फेसबुक पर व्यस्त हैं।

फिर चुनाव का मौसम
कई शहरों में आएगा।
आनेवाली बर्बादी को फिर
नए चेहरों में लाएगा।
-दीपक कुमार साहू
-Deepak Kumar Sahu
02/10/2013
06:06 PM

Comments

  1. Kamal toh khilega bhai. Is baar zaroor khilega

    ReplyDelete
  2. Sad to know the political system we are having... But yes... After watching so many development... We all know that whom we should vote... N no minister can purchase our votes...

    ReplyDelete
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