अब से पहले आँसू शराब में घुलाया ही नहीं था
इससे पहले किसी ने मेरा मुँह खुलाया ही नहीं था
इस तरह जन्मदिन पर फोन किया तुमने
जैसे कभी तुमने मुझे भुलाया ही नहीं था
मिलकर भी दोस्त तुम्हारे पराई नजरों से देखते हैं
ठीक तरह से तुमने मिलाया जुलाया ही नहीं था
मैंने पुकारा तुमको तो तुमने मुह फ़ेर लिया
इस तरह तो किसीने रुलाया ही नहीं था
कुछ इस तरह महफिल से हमने रुख़सत कर दी
जैसे इस जलसे में कभी बुलाया ही नहीं था
ढक कर चादर फिर सर पर हाथ फ़ेरा माँ ने
इस तरह तो किसीने सुलाया ही नहीं था…
-दीपक कुमार साहू
25/05/2022
07:00 PM
Comments
Post a Comment