पायल और मैं
चौदह साल की हुई तो
मेरे बड़े होने की ख़बर उड़ी।
और तभी ये पायल
आकर मेरे दिल से जुड़ी।
पहले सिर्फ शौक था, फिर जुनून
और अब ये मेरा हिस्सा है।
जिसके सुकून के बिना जीवन जैसे
इक अधूरा किस्सा है।
जब ये मेरा शौक था,
तब श्रृंगार था।
चलते वक़्त बजते घुँघरू
मानो खुशियों का संसार था।
सबसे सुंदर हो मेरे पायल!
ये मेरा जुनून बन गया।
रफ़्ता - रफ़्ता जाने कैसे
ये मेरा सुकून बन गया।
मैं इनसे खुब खेलती हूँ,
साथी सम अपना मन बहलाती हूँ।
कभी माथे पे, कभी गले पे,
तो कभी होठों पर सजाती हूँ।
मेरे पैरों में ग़र पायल ना दिखे
तो समझ लेना मैं उदास हूँ।
हूँ तब बहुत अकेली
चाहे किसी के भी पास हूँ।
जब बड़ी हुई, घर से दूर हुई,
तब यही मेरे साथ थे।
अनजान शहर, अनजान लोग,
अनजान दिन और रात थे।
हर नाकामयाबी ने सच मुझे
अंदर से तोड़ रखा है।
पर इस पायल ने डोर बनके
मेरे कण - कण को जोड़ रखा है।
कोई मर्यादा कहता है इसे तो कोई
कहे कि बेड़ियों का धोखा है।
पर हमेशा इसने मुझे
गलत रास्तों पर जाने से रोका है।
पर अब उदासी में भी मैं
इन्हें खुद से दूर नहीं करती।
मेरे आँसुओं से अलग
रहने को मजबूर नहीं करती।
अब मैं इन्हें बस इतने वक़्त के लिए
अकेले छोड़ती हूँ जब मैं गलतियाँ करना चाहती हूँ।
अपने ही शर्तों पर कुछ लम्हे जीना
तो कुछ मरना चाहती हूँ।
लोगों के नजर में ये गलतियाँ हैं
पर मेरे लिए वो लम्हें जो मुझे जीना है।
मलाल के दुख से बेहतर
तानों का ज़हर पीना है।
तुम कहोगे कि इन्हें अपने सबसे हसीन पलों में
खुद से दूर करना गलत है।
पर पैरों के पायल मेरे
मर्यादा के बदौलत है।
हाँ खुदगर्ज ही सही पर
कुछ ख़ुशियाँ मर्यादा के परे होते हैं।
और दिल के किसी कोने में हम
इस मर्यादा से डरे होते हैं।
हाँ मिलती हूँ अपने आप से कभी कभी
श्रृंगार और मर्यादा के परे।
ना कोई बंधन, ना कोई पहचान,
ना किसी आत्मग्लानि से भरे।
उस अनजान भीड़ में गुम
छोटी - छोटी ख़ुशियाँ बटोर लेती हूँ।
हदों को पार कर के भी
अपने पसंद के फूल तोड़ लेती हूँ।
सारा प्यार बाटने के बाद,
खुद से प्यार करना भी जरूरी है।
आज मैं जी लूँ, आज मैं हँस लूँ,
क्यूँकि आत्मा मेरी अधूरी है।
खुशियों के लिए, खुद से लड़े बिना
दुनिया से क्या लड़ पाऊँगी?
खुद से प्यार किए बिना मैं,
तुमसे क्या प्यार कर पाऊँगी….?
-दीपक कुमार साहू
18/07/2020
04:52:00 PM
This is beautiful 😍
ReplyDeleteThanks Manasvi😁😁
DeleteExcellent
ReplyDeleteThank you sir😁😁
DeleteThanks bhai😁😁
ReplyDeleteKya baat kya baat kya baat deepak bhai🥰🥰🥰
ReplyDeleteThanks bhai 😁
DeleteAmazing loved it ❤️
ReplyDeleteThank you Amrita 😁
DeleteReally interesting poem. Most of the girls will find it relatable.
ReplyDeleteHehe thanku 😇
DeleteBhai sahab hats off to this !!
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