एतबार
In the pic : Ashish Biswal |
इस अकेली रात में तुम हो।
रोती हुई बरसात में तुम हो।
जिसे दुनिया से छिपाया था मैंने,
हाँ, उसी जज्बात में तुम हो।
उन्हीं जज्बातों पे एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
कायनात से छिपे इस मन में तुम हो।
भोली इतनी, जैसे बचपन में तुम हो।
हर साँस में जिसने तेरा नाम लिया
हाँ उसी धड़कन में तुम हो।
उन्हीं धड़कनों पे एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
सितारों संग चमकते मेहताब में तुम हो।
मुहब्बत के जटिल जवाब में तुम हो।
हर साँस में जिसने तेरा नाम लिया
हाँ उसी धड़कन में तुम हो।
उन्हीं धड़कनों पे एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
सितारों संग चमकते मेहताब में तुम हो।
मुहब्बत के जटिल जवाब में तुम हो।
हर रात जिसे सजाया था मैंने,
हाँ, उसी ख्वाब में तुम हो।
उन्हीं ख्वाबों पे एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
प्रीत के गीत के साज़ में तुम हो।
दिल में दफन, हर राज़ में तुम हो।
जो पल पल तेरी तारीफ़ करे,
हाँ, उसी अल्फाज़ में तुम हो।
उन्हीं अल्फाजों पे एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
दोस्तों के उलझे सवालों में तुम हो।
हर वक़्त मेरे खयालों में तुम हो।
तूझे तकते हुए बिता दिए जो मैंने
हाँ, उन महीनों, सालों में तुम हो।
उन्हीं सालों के हर पल पे एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
चिड़ियों के मीठे चहक में तुम हो।
संदल के आग की दहक में तुम हो।
प्यार से जिन फूलों को छुआ था तूने
हाँ, उन्हीं की महक में तुम हो।
उसी महक पे एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
हर आगाज़, हर अंजाम में तुम हो।
खून से लिखे पैगाम में तुम हो।
तेरे प्यार के नशे में छोड़ दिया जिसे,
उसी नशीले जाम में तुम हो।
इश्क़ के नशे पे एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
आँखों में बसे हर मंज़र में तुम हो।
इस छोटे दिल, के अंदर में तुम हो।
बूंद बूंद से जहाँ जोड़ा तेरे प्यार को,
हाँ, उसी समंदर में तुम हो।
उसी सागर पे एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
सदियों की प्यास में तुम हो।
खट्टे मीठे एहसास में तुम हो।
जिस सूरज को मुद्दतों से देखा नहीं मैंने,
हाँ, उसकी प्रकाश में तुम हो।
उन्हीं एहसासों पे एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
मोहब्बत की मदहोशी में तुम हो।
इश्क़ के सरफरोशी में तुम हो।
जो मौत मुझे अकेला कर गया,
हाँ, उसकी खामोशी में तुम हो।
उसी खामोशी पे एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
आज भी अकेले रोने में तुम हो।
रिश्तों के बोझ संग ढ़ोने में तुम हो।
प्यार के ईट से जो बनाया था घर,
हाँ, उसके कोने कोने में तुम हो।
उसी रिश्ते पे अब भी एतबार करता हूँ,
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
शादी के उन सातों कसम में तुम हो।
साथ - साथ सातों जनम में तुम हो।
कौन कहता है, तुम बहुत दूर जा चुकी हो,
तुममें हम हैं, हम में तुम हो।
तेरे होने पे अब भी एतबार करता हूँ।
हाँ, मैं तुझसे प्यार करता हूँ।
-Deepak Kumar Sahu
दीपक कुमार साहू
07/08/2016
02:42:53 PM
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