आज इतनी शिद्दत से…
Shot by : Preet Tripathy |
Shot By : Preet Tripathy |
तेरे जाने के बाद ये
हंँसी मुझसे रूठ गई है।
शायद उसी बस - स्टाॅप पर
मेरी खुशी छुट गई है।
मेरे उतरे चेहरे का सबब आँखें बता रही है।
आज इतनी शिद्दत से तेरी याद आ रही है।
नम आँखों और मुस्कुराते लबों से
मैंने तुझे विदा किया।
जाते हुए बस ने
दिल को दिल से जुदा किया।
आज मेरी आँखें, बनके बादल, बरसते ही जा रही है।
आज इतनी शिद्दत से तेरी याद आ रही है।
तेरे बिन इस गुलशन का
हर गुल उदास है।
पर मेरे दिल का खयाल रखना,
वो तो तेरे पास है।
मेरी लिखी कविता भी तुझसे प्यार जता रही है।
आज इतनी शिद्दत से तेरी याद आ रही है।
तेरी हंँसी न देख, नदियाँ
जैसे थम सी गई है।
पलकों में आकर आँसू
मानो जम सी गई है।
पूनम के चाँद में भी तेरी सूरत नज़र आ रही है।
आज इतनी शिद्दत से तेरी याद आ रही है।
वो प्यारे - प्यारे लम्हें
तेरे रूठने और मनाने का।
वो तेरा मुझे बेवजह,
बात - बात पर सताने का ।
वो छोटी - छोटी बातें, बनके स्मृति, मुझे सता रही है।
आज इतनी शिद्दत से तेरी याद आ रही है।
घड़ी - घड़ी ये सोचता हूँ
कि तुम क्या कर रही होगी?
फिर हँसकर कहता हूँ
“मुझे ही याद कर रही होगी।”
शायद ये पंक्ति पढ़कर तू भी मुस्कुरा रही है।
आज इतनी शिद्दत से तेरी याद आ रही है।
आज भी भोजन करते वक्त एक ही सवाल
मन में मेरे, होता है कहीं ना कहीं…
“मेरी नखरेवाली” तूने समय से
खाना खाया होगा भी या नहीं?
तेरे गुस्से से भरा चेहरा न देख,
ये आँखें तरसती जा रही है।
आज इतनी शिद्दत से तेरी याद आ रही है।
“ना जाने तू कैसी होगी?”
मन बार - बार ये क्यूँ कहता है?
लोगों के भीड़ के बीच भी
इक खालीपन सा क्यूँ रहता है?
शायद ये दुनियाँ हमें बिरह का सबक सिखा रही है।
आज इतनी शिद्दत से तेरी याद आ रही है।
तुझसे बात नहीं होती जब
मन क्यूँ इतना दुखता है।
पता है, जब मुस्कुराती है ना तू,
तब समय का पहिया रुकता है।
तेरे तेज़ के आगे ये धूप भी शर्मा रही है ।
आज इतनी शिद्दत से तेरी याद आ रही है।
“लौट आओ ना!!” कि तुम बिन यहाँ
मुझे कुछ भी नहीं भा रहा है ।
तुमसे इतना दूर यहाँ
अकेले जिया नहीं जा रहा है।
मेरी हर साँस, बस तुझे ही बुला रही है ।
आज इतनी शिद्दत से तेरी याद आ रही है।
-दीपक कुमार साहू
-Deepak Kumar Sahu
30/09/2017
11:39:25 AM
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