जागे जा रहे हो।
मंजिल की उम्मीद बिना
भागे जा रहे हो।
कुछ खट्टे, कुछ मीठे विचार में हो,
तो प्यार में हो।
अगर अकेले में
मुस्कुराने लगे हो।
सपने सलोने
सजाने लगे हो।
कभी इस, कभी उस संसार में हो,
तो प्यार में हो।
अगर चाय में शक्कर पे शक्कर
मिलाए जा रहे हो।
चाहत का कोई फूल
खिलाए जा रहे हो।
खुशी इतनी, जैसे किसी बहार में हो,
तो प्यार में हो।
उससे मिलने के बाद
उसे ही याद कर रहे हो।
उसे पाने की अगर
ईश्वर से फरियाद कर रहे हो।
कभी इस पार, कभी उस पार में हो,
तो प्यार में हो।
अगर रात में केवल
करवट बदल रहे हो।
खोये खोये किताबों के
पन्ने पलट रहे हो।
ऐसे खोये, मानो अंधकार में हो,
तो प्यार में हो।
खाना खाते वक्त अगर
किसी का साथ चाह रहे हो।
जीवन के सफर में
किसी का हाथ चाह रहे हो।
दिल में इकरार और सामने इन्कार में हो।
तो प्यार में हो।
किसी की गली में बेवजह
घुमने लगे हो।
बटुए में किसी की
तस्वीर चूमने लगे हो।
किसी की राह तकते इंतजार में हो,
तो प्यार में हो।
अगर उसकी बुराई नहीं
सुन पा रहे हो।
कुछ कहने को अल्फाज़
नहीं चुन पा रहे हो।
यहाँ-वहाँ, छोटी-मोटी टकरार में हो,
तो प्यार में हो।
अगर धीरे-धीरे मेरे जैसे
सायर बन रहे हो।
दिल की बात कहने में
कायर बन रहे हो।
कहूँ या ना कहूँ के मझधार में हो,
तो प्यार में हो।
अगर शीशे के सामने
रोज इजहार कर रहे हो।
पूनम के चाँद में भी
उसका दीदार कर रहे हो।
जीत के बावजूद हार में हो,
तो प्यार में हो।
- दीपक कुमार साहू
- Deepak Kumar Sahu
Comments
Post a Comment