जैसे परिंदा कोई
In frame : Siddharth Singhal |
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अंधेरे समंदर में अब तक
तैर रहा हूँ।
रोशनी की खोज में
हाथों को मैं फेर रहा हूँ।
साहिल के खोज में
फिर भी है जिंदा कोई।
जैसे परिंदा कोई।
हाँ कोई।
छोटे - छोटे आँखों में
ढ़ेर सारे सपने।
करना चाहूँ सब कुछ
ये मन नहीं मेरे बस में।
आँखों में अरमान लिए
फिर भी है जिंदा कोई।
जैसे परिंदा कोई।
हाँ कोई।
कुछ कर गुजरने का
मुझमें भी जोश भरा है।
मरते - मरते जी रहा था
ये अफसोस भरा है।
खामोशी से खड़ा
फिर भी है जिंदा कोई
जैसे परिंदा कोई
हाँ कोई।
लोगों की भीड़ में मेरा चेहरा
मामूली हो ना जाए।
ये अवसर और मेरे पर
उड़ने से पहले खो ना जाए।
कोशिश में तैयार खड़ा
फिर भी है जिंदा कोई
जैसे परिंदा कोई
हाँ कोई।
दोस्तों को, यारों को, मेरे रिश्तेदारों को
मुझ पर भी फक्र होगा।
जब कामयाबी की कहानियों में
मेरे जीवन का जिक्र होगा
उसी सफर के लिए
फिर भी है जिंदा कोई।
जैसे परिंदा कोई।
हाँ कोई।
इन जवाँ आँखों में
अब भी उम्मीद है।
शायद मेरे अंदर ही
जीतने की जिद है।
मंजिल हासिल करने को
फिर भी है जिंदा कोई
जैसे परिंदा कोई
हाँ कोई।
हो काँटों भरी सीढ़ी
तो भी उसपे चढ़ जाऊँगा।
अब कैसी भी हो मुश्किल
मैं अकेला उससे लड़ जाऊँगा।
सैलाब से टकराने को
फिर भी है जिंदा कोई
जैसे परिंदा कोई
हाँ कोई।
अलग सोच मेरी, अलग रास्ता
जहाँ हर कोना सूना है।
इसी रास्ते चलकर मुझको
इक दिन चाँद को छूना है।
अकेला ही सही
फिर भी है जिंदा कोई
जैसे परिंदा कोई
हाँ कोई।
मैं चलूँगा, गिरुँगा, उठूँगा
पर रुकुँगा नहीं।
लोगों की भीड़ में मैं
आम आदमी सा दिखुँगा नहीं।
खुद पे भरोसा किए
फिर भी है जिंदा कोई
जैसे परिंदा कोई
हाँ कोई।
एक दिन ये पंछी
भी उड़ान भरेगा।
उस दिन भी कम
ये आसमान पड़ेगा।
पिंजरे से बाहर देखता
फिर भी है जिंदा कोई।
जैसे परिंदा कोई।
हाँ कोई…….
हाँ कोई…….
हाँ कोई…….
-दीपक कुमार साहु
-Deepak Kumar Sahu
02:01:55 AM
Ek no. Bhaiya. I have a question are from GNPS.
ReplyDeleteAre u from GNPS
ReplyDeleteYes I am from GNPS, I have passed 10th from GNPS 2013 batch.
DeleteTo know more about me... You can click on About section of this page.