P. C. Preet Tripathy & Siddharth |
उसे तस्वीरों में कैद ना किया कर ऐ अजनबी,
अभी शब्दों के जंजीरों से मैंने, उसे रिहा नहीं किया।
पर उसपे हक़ जताने वाला मैं कौन होता हूँ?
हाँ जानता हूँ, उससे मैंने ब्याह नहीं किया।
पर जब - जब तू उसके पास जाता है,
संग उसके जब मुस्कुराता है,
सच कहता हूँ, मुझे अच्छा नहीं लगता।
उसे अपनी कहानी की नायिका मत बना,
मेरे कहानी का अंजाम लिखना अभी बाकी है।
दिल मेरा मयखाना है अगर,
तो वो अब भी मेरी साकी है।
उसके आँखों के नशे में जब कोई और झूमता है,
उसकी तस्वीर को मेरे अलावा, जब कोई और चूमता है,
सच कहता हूँ, मुझे अच्छा नहीं लगता।
उसे तू फूल ना दिया कर ऐ अजनबी,
मेरे दिए फूल अभी, डायरी से उसने, फेंके नहीं हैं।
क्या सोचकर तू हमारे बीच आ रहा है?
शायद मेरे आँखों में प्रीत के भाव, तूने देखे नहीं हैं।
यूँ सबके सामने मज़ाक में भी जब तू उसे अपनी बताता है,
यूँ नुमाइश के लिए, जो गाता बजाता है,
सच कहता हूँ, मुझे अच्छा नहीं लगता।
अभी मेरे काँधे पर सर रख कर
सोए उसे दो पल भी नहीं हुए।
उस फूल को तंग ना किया कर
मैं नहीं चाहता कोई भँवरा उसे छुए।
पर जब तू उसके चारों और मंडराता है,
बेवजह जो उसे बात - बात पर सताता है,
सच कहता हूँ, मुझे अच्छा नहीं लगता।
ऐसे तू उसका हाथ ना थामा कर, ऐ अजनबी
मेरी दी हुई अंगूठी, अभी उसने उतारी नहीं है।
मैं उससे थोड़ा दूर रहता हूँ तो क्या हुआ?
शतरंज की ये बाज़ी मैंने हारी नहीं है।
जो तू ढ़ाई कदम चलकर, मेरी रानी के पास आता है,
हाथ पकड़कर उसका, मुझसे दूर ले जाता है।
सच कहता हूँ, मुझे अच्छा नहीं लगता।
तेरी बनाई शिनाख्त अगर बेहत है तो क्या हुआ?
मेरा दिया हर काव्य उसने संजो कर रखा है।
अभी वो खुश है, उसे हँसा भी लिया तो क्या?
दुख का स्वाद हम दोनों ने रोकर चखा है।
अब जो तू उसके आँसू पे अधिकार जताता है,
उस से अपने मन की बातें कर जाता है,
सच कहता हूँ, मुझे अच्छा नहीं लगता।
तू उसके ख़्वाब ना देखा कर ऐ अजनबी
मेरे सपनों में आना, अभी उसने छोड़ा नहीं है।
उसे ऐसे महँगे तोहफे ना दिया कर,
मेरा दिया हुआ दिल, अभी उसने तोड़ा नहीं है।
अब जब रातों को सारा ज़माना सोता है,
और तब फ़ोन में जब तू उसके संग होता है,
सच कहता हूँ, मुझे अच्छा नहीं लगता।
हाँ तस्वीर में तू उसके साथ जरूर है
पर तकदीर में उसको मेरे साथ रहने दे।
माना दिल की बातें छिपा रखी है मैंने
थोड़ी मोहलत तो दे, वो बात कहने दे।
उसके दिल में, जगह बनाने का जो तू प्रयास करता है,
मेरे अलावा उसे कोई, जब ऐसे एहसास करता है,
सच कहता हूँ, मुझे अच्छा नहीं लगता।
माना तुझे उसने वक़्त दे रखा है
पर मेरी शाम उस पर अब तक उधार है
ये ईर्ष्या है तो ईर्ष्या ही सही
मैं बता नहीं सकता है, मुझे कितना उससे प्यार है।
मेरी प्रेरणा के करीब, जब कोई और जाता है।
गुस्से और गम से, जब ये जी भर आता है।
सच कहता मुझे अच्छा नहीं लगता…
-दीपक कुमार साहु
11:50:26 PM
14/01/2018
Word Meanings :
ब्याह- Marriage
मयखाना - Bar
साकी - A lady who serves beer in bar(used for female protagonist)
शिनाख्त - Sketch
संजोना - To keep something carefully
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