उस दिन अँगूठी खरीदकर सोचा
चलो आज इज़हार करता हूँ ।
आज उसे बता दूँ कि
मैं कितना उससे प्यार करता हूँ ।
संकोच के सागर को पार कर
जब मैं उसके पास आया ।
तकदीर को मेरा प्यार
शायद रास ना आया ।
हिम्मत जुटाते - जुटाते शायद
काफी देर हो गया ।
रेत का महल इसलिए
माटी का ढ़ेर हो गया ।
उसके बाहों में बाहें डाल
एक सुंदर शहज़ादा खड़ा था।
जिसके नाम का कीमती हीरा
उसकी अँगुली में जड़ा था।
मैंने अपनी लाई अँगूठी छिपा ली जब
देखा कि उसके होंठो पे हँसी थी ।
काश कोई मेरी आँखें देख लेता
उस पल बस, बेबसी बसी थी ।
उससे जुदाई का आलम
भी मैं सह नहीं पाया।
उससे कितना प्यार है,
कभी कह नहीं पाया।
मैं कहता भी तो क्या?
वो दोस्ती टूट जाती ।
उसके संग सफर करने की
वो आख़िरी कश्ती भी छूट जाती।
दिल रो रहा था पर उसकी
खुशी पे मुस्कुराना भी था ।
“मैं सिर्फ उसका दोस्त हूँ”
ये स्वांग कर के जताना भी था ।
मोहब्बत कुर्बानी का नाम है,
ये आज जिंदगी ने बता दिया ।
ये सोच के आज भी रोता हूँ, कि किसने
मोहब्बत को मेरे दिल का पता दिया ।
अजीब सा आलम था वो, जी रो रहा था
और ज़िंदगी मुझ पे हँस रही थी ।
पर सच कहता हूँ उस वक़्त भी दिल में
बस वो ही वो बस रही थी ।
मैं टूट कर बिखर गया
वो तूफान अति घोर था।
उस सुंदर फूल का माली मैं,
पर मालिक कोई और था।
मेरा टूटा दिल देखकर
दोस्तों का दिल भी भर आया।
जिसके लिए आँखों में प्यार था
बस उसे नजर नहीं आया।
उसे बिन बताए ही सही, पर
एक तरफ़ा प्यार करता रहूँगा।
और इस दर्द को लेकर मैं
मरते दम तक मरता रहूँगा।
वो अँगूठी मेरी इक तरफा
प्यार की निशानी है।
इसी कविता में छिपी मेरी
सच्ची प्रेम कहानी है।
तुम ही बताओ….
अब कैसी खुशी जीने में है।
दिल टूट गया, फिर भी सीने में है…..
-दीपक कुमार साहु
-Deepak Kumar Sahu
06/10/16
04:04:02 PM
Word Meanings
1.कश्ती-Boat
2.आलम-Moment
3.स्वांग-Make up (here pretending to be happy)
4.संकोच-Hesitation
Bahut mushkil hota hai aisa pyaar karna jahan pyaar ke badle pyaar na mile....
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