की कुछ बात।
बहोत हांँ बहोत है ये कुछ मिनट
तेरे साथ,,, ये मुलाकात
हाँ बहोत है बहोत ये सिर्फ कुछ पलों
का तेरा साथ, ये कुछ बात!
बस बहोत कम है,, ये तेरा रहने के साथ
न रहना मेरे साथ,
कि मेरा होना या न होना तेरे साथ।
बहोत ख़ास है ये, ख़ास तेरी बातें,
तेरे साथ ये मुलाकात,
ये मुलाकात, चाहे हो आखरी आज
चाहे मुलाकात हो आखरी मेरा तेरे साथ।
बहोत ख़ामोशी है बहोत,
तेरा मेरे पास होने से,
उस दिन क्या होगा,
जब सिर्फ ख़ामोशी मेरी होगी,
पूछना खुद से,
कि हक़ मेरा भी है खामोश होने का,
क्या फर्क पड़ेगा उस दिन,
तेरे आँसू बहाने या न बहाने से,
कि आज आँसू मैं बहा रहा तेरे साथ होने के बाद भी तेरे साथ न होने से।।
अजीब है न,
मैं क्या कुछ भी कहता जा रहा हूँ,
पर याद है मुझे, मेरी हर बात पे,
तेरा ये कहना,, कुछ भी, और कह के
मेरी हर बात को टालना,
कुछ भी हाँ कुछ भी, ये है अब मेरा कहना,,
कि अब कुछ और चुप्पी मुझे नहीं सहना।।
मैं लिखता अच्छा हूँ न,,
हाँ तेरे बारे में लिख - लिख
के ही लिखना सीखा है मैंने,
बहोत है बहोत,, हाँ बहोत,
मेरी कविताओं मैं तेरा व्याख्या होना,
चाहे,, इतिहास में कवि ना कहलाऊँ मैं,,
पर तेरी बेवफाई का पैगाम आने वालों के लिए बो दी है मैंने,
अब क्या फर्क पड़ता है,,
तेरा मुझसे बेवफा होने या न होने से,,
कि बेवफा है तू,, मेरे सिर्फ इतना कुछ लिख देने से।
आज कुदरत का पैगाम मिला था शायद,
खुदा और तुझे एक साथ,,
दोनों बहा रहे हो अपने अश्क़,,
मेरे कविता सुन के एक साथ,
के बहोत है बहोत ये आँसू तेरे,
मेरे सालो के ज़ख्मों को भरने के लिए,
अब इसके बाद तू रोये या न रोये,
फर्क पड़ेगा मुझे,
तेरा न होने से,, के अब फ़र्क़ पड़ता है मुझे,
तेरा मेरे पास होने या न होने से।।
Shiva~~
likhta hun apne soch ke afsane ko,,
Khusi milti hai isse mujhe,,
Koi farq nahi padta,, koi isse padhe,ya isse padh ke kisi ke rone se..
आपका दोस्त,,
1july /2018,,
12:38pm
Celebrating half century of poem gallery!!
Its really nice one
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
DeleteThank you banani
DeleteNice one shiva
ReplyDeleteThank you bhaiya,,keep supporting""
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