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माँ के अंतिम क्षणों में |


माँ के अंतिम क्षणों में 
Ramya Krishna

एक कहानी सुनाता हूँ,
नारी के क्षमता पर।
यह कहानी आधारित है,
माँ के ममता पर।

एक समय की बात है,
एक घर में बेटे का जन्म हुआ।
परिवार में सबसे ज्यादा,
उस माँ का हृदय प्रसन्न हुआ।

माँ के साथ ही था उसका लगाव
माँ ही थी उसकी रक्षक।
माँ ही थी उसकी मित्र,
माँ ही थी उसकी शिक्षक।

चाँद का टुकड़ा था माँ का बेटा।
सूरत थी जिसकी भोली।
माँ के अलावा कोई भी नहीं समझता,
उसकी अनगढ़ बोली।

माँ समझ लेती थी
उसके हाव-भाव और भाषा।
सुख में, दुख में, किसी भी समय
माँ जान लेती, उसकी आशा।

हर दिन, जब भी लगती बेटे को
भूख और प्यास।
बेटे से पहले ही हो जाता,
माँ के दिल को एहसास।

तब माँ, शेर, बाघ, भालू आदि के नाम के
कौर  बनाया करती थी।
उसके सामने नाटक करके, पेट भर
खाना खिलाया करती थी।

जब बेटा रोता था और उसे
रात को नींद नहीं आती थी
तब माँ सारी रात जाग कर
लोरियाँ गुनगुनाती थी।

धीरे धीरे बेटा बड़ा होता है।
पढ़ाई कर के दुनिया में मशहूर होता है।
उन्नति के और करीब
और माँ से उतनी ही दूर होता है। 



बेटे की किस्मत थी
बड़ी ही नायाब।
दिन दुगनी, रात चौगुनी तरक्की कर
बना कामयाब।


अब धन, दौलत, यश में
बेटा था सशक्त।
उसके पास कुछ नहीं था,
तो वो था वक़्त।


वक़्त बीतता गया, माँ बूढ़ी होकर
बीमार हो गई ।
शायद अकेलेपन की
शिकार हो गई ।


फिर एक दिन अस्पताल से
बेटे को बुलावा आया।
डॉक्टर ने बताया कि माँ ने
तीन दिनों से कुछ नहीं खाया।


बेटा बड़ी मुश्किल से काम समाप्त कर,
पहुँचता है चार घंटे लेट।
बेटे से माँ की
अंतिम क्षणों में होती है भेट।


मिलते ही बेटा चिल्ला कर कहता है
माँ मुझे क्यूँ सता रही हो?
डॉक्टर ने बताया तुम
खाना नहीं खा रही हो!


इतना सुन कर ही माँ के आँखों से
आँसू बहने लगती है।
रोते हुए माँ अपने बेटे से
कुछ कहने लगती है।


बेटा हो जाता है
माँ पर भड़कना शुरू।
अकेली माँ, उन्नत बेटे से सालों के
बाद होती है रूबरू। 

माँ के मन में एक ओर
बेटे के भड़कने का दुख था।
तो एक ओर बिरह पश्चात
मधुर मिलन का सुख था।


अब आखिरकार वह तो
माँ का दिल है।
वो खुशी के आँसू थे या ग़म के
कहना मुश्किल है।


दर्द के कारण निकलती है
माँ के मुँह से लड़खड़ाती आवाज़।
किंतु नासमझ बेटा,
समझ नहीं पाता, माँ के अल्फाज़। 



बेटा मौसी को बुलाकर कहता है,
माँ कुछ कहना चाह रही है।
पर उसकी बोली मुझे
समझ नहीं आ रही है।


मौसी कहती है,
बेटा तू बहुत बड़ा आदमी हो गया है।
अपने चारों ओर तूने सुख का इतना प्रबंध कर रखा है।
कि नोटों की गड्डियों ने एक बेटे के कानों
को बंद कर रखा है।


पर जब तू छोटा था ना,
तेरी बातें किसी को समझ नहीं आती थी।
तुझसे सबसे ज्यादा प्यार करने वाली
तेरी माँ ही तुझे समझ पाती थी।


सच कहते हैं लोग, कि
माए के जी गाई सनक और
बेटा के कसाई सनक।


ये इतना ही कह रही है कि,


थक चुकी है ये, खा खाकर
अंग्रेजी दवाई।
इसका ईलाज है तू
इसकी बीमारी है तन्हाई।


इसकी आखिरी इच्छा है कि
तेरे हाथों से एक निवाला खाए।
ताकि जीते - जी इसकी
आत्मा तृप्त हो जाए।


देखना, तेरे हाथों से खाकर
ये कैसे खुशी से खिल जाएगी।
तब जाकर इसकी आत्मा
परमात्मा से मिल पाएगी।


मौसी के चोट करने पर बेटे का
घमंड का प्याला चूर - चूर हो जाता है।
बेटा माँ को प्यार से
एक निवाला खिलाता है।


उसे खाते ही माँ कहती है “खुश रहो बेटा”।
उसके बाद माँ की आत्मा इस धरती से चल गई।
किंतु बेटे के दिल में करुणा की
ज्योति फिर से जल गई।


इसी के साथ ममता का
सूरज ढल गया।
करुणा की ज्योति से बेटे का
पाषाण हृदय पिघल गया।


उसे तब समझ में आया कि
आखिर उसने क्या खोया।
यही कारण था कि वह
फूट - फूट कर रोया।


बेटे ने माँ के आँचल से आँसू पोछकर कहा :-


“भले ही मेरे पास ये दुनिया है,
भले ही ये आसमां है।
पर खुश - नसीब हैं वो लोग
जिसके पास “माँ” है।”
-दीपक कुमार साहु
-Deepak Kumar Sahu
23/12/2013
11:02 AM
(Inspired from an interview)
Word Meanings 

  1. क्षमता- Potential
  2. आधारित- Based on
  3. रक्षक- Protector
  4. अनगढ़- improper
  5. नायाब- Blessed
  6. दुगनी- Two times
  7. चौगुनी- Four times
  8. सशक्त- self sustained / independent
  9. क्षणों- moments
  10. भड़कना- chiding
  11. रूबरू- Meet
  12. बिरह- Separation
  13. पश्चात- After
  14. मधुर मिलन- Loveable meet
  15. अल्फाज़- Words
  16. तृप्त- Eternal satisfaction
  17. करुणा- Pitiness
  18. पाषाण हृदय- Stone hearted
  19. आसमां-Sky(here it means height of success)
माँ- cannot be explained in words. It can only be felt… & that is love. 
HAPPY MOTHER'S DAY




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