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इस लायक नहीं हो तुम

इस लायक नहीं हो तुम 
A Tribute To Zakir Khan
Pic Credit : Preet & Subham

मेरे कुछ सवाल हैं,
जो सिर्फ क़यामत के रोज़ पूछूँगा तुमसे
क्यूँकि उससे पहले तुम्हारी और मेरी
बात हो सके, इस लायक नहीं हो तुम…

मैं जानना चाहता हूँ कि तुमसे बातें करते करते
वो भी तुम्हारी आँखों में खोता है क्या?
क्या तेरे दिल की दास्तान सुनकर
वो भी जाने अनजाने रोता है क्या?
जिस तरह मैं रोया करता था…

रात रात भर जागकर वो भी
तुम्हें कहानियाँ सुनाया करता है क्या?
बातें करते करते जब तू सो जाती है तब भी
बिना रुके वो अपनी बातें बताया करता है क्या? 
जिस तरह मैं बताया करता था... 

क्या वो भी मेरी तरह रोज़ कहता है
कि “जाओ खाना खा लो”?
क्या वो भी दिल की बातें पूछता है?
ये कह कर कि “मन हल्का हो जाएगा, बता दो”
जिस तरह मैं पूछा करता था…  

तेरी हर परेशानी को
वो भी हल कर देता है क्या?
क्या बेवकूफी भरी बातें कर के
तेरी उदासी को हसीं में बदल देता है क्या?
जिस तरह मैं बदल दिया करता था…  

क्या वो भी नाराज़ होने पर चुप रहता है
या फिर शिकायत करता है?
तुम्हें छूए बिना क्या वो भी
मुहब्बत में इबादत करता है?
जैसे मैं किया करता था…

वो भी मेरी तरह, तुम्हारे सिवा
किसी और लड़की को नहीं देखता है क्या?
क्या तुझ पर वो भी सच्चे दिल से
सैकड़ों कविताएँ लिख सकता है क्या?
जिस तरह मैं लिखा करता था…

क्या हूबहू मेरी तरह प्यार में वो भी
तेरी शिनाख्त बना सकता है क्या?
तेरे मशरूफ रहने पर, मन में बातें दबा कर, 
वो भी तेरी तस्वीर को तकता है क्या?
जिस तरह मैं तकता था…

क्या तुम्हारे फरमाइश करने पर
वो भी सब कुछ ला कर देता है?
क्या उस पर भी गुस्सा कर के माफी माँग लेती हो?
और वो भी माफ़ कर देता है क्या?
जिस तरह मैं माफ़ किया करता था…

क्या उसके लिए भी हर प्राथमिकता
तुम्हारे बाद रहती है?
क्या उसे भी तुम्हारी
हरेक बात याद रहती है?
जिस तरह मुझे याद है…

जब शाम को तू लौटने की ज़िद करती है
तब उसका दिल भी दुख से भरता है क्या?
क्या वो भी रोज़ रात को तुम्हें
अपने सपनों में देखा करता है क्या?
जिस तरह मैं देखा करता था…

क्या उसने भी तेरे बचपन की
सारी तस्वीरें छिपा रखी है?
क्या अपने जन्मदिन से ज्यादा खुशी
उसे तेरे जन्मदिन पर होती है?
जैसे मुझे हुआ करती थी….

क्या उसके नाम से चिढ़ाने पर
तू वैसे ही मुस्कुराती है जैसे 
मेरे नाम से चिढ़ाने पर मुस्कुराया करती थी?
क्या दुख के घड़ी में उसे भी वैसे ही समझाती हो?
जिस तरह मुझे समझाया करती थी... 

क्या वो भी तुम्हें
प्रेमिका से ज्यादा प्रेरणा मानता है?
क्या ईश्वर से प्रार्थना करते वक़्त
वो भी तेरी खुशियाँ माँगता है?
जिस तरह मैं माँगा करता था…

ये कुछ सवाल हैं,
जो सिर्फ कयामत के रोज़ पूछूँगा तुमसे
क्यूँकि उससे पहले तुम्हारी और मेरी
बात हो सके, इस लायक नहीं हो तुम…
-दीपक कुमार साहू
23/03/2018
11:37:45 PM

शब्दार्थ 
क़यामत - Doomsday (End of the world) 
दास्तान - Story 
इबादत - Worship 
हूबहू - Exactly Same
शिनाख्त - Sketch 
मशरूफ - Busy
प्राथमिकता - Priority 
प्रेरणा - Inspiration 

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