तुम मिलने आई नहीं Image generated by Meta AI आईने के सामने कई दफा प्यार का इजहार किया था आज के दिन के लिए मैंने कैसे खुद को तैय्यार किया था ये बात मैंने किसी को बताई नहीं... दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं... सोचा था मैंने कि आज तुमको माता के दरबार लेकर जाऊँगा, चरणों में गिरकर माता के मैं अपने हिस्से का प्यार लेकर आऊंगा क्या मैं इतना बुरा हूँ? मुझमें कोई अच्छाई नहीं? दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं... तुम्हें मेरे शहर की नदी, झरने और ठंडी हवा से मिलाने की जरूरत है उन्हें भी तो दिखाऊँ कि कोई उनसे भी खूबसूरत है और इक गाने की फर्माइश थी जो तुमने सुनाई नहीं दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं... इक अच्छी फिल्म लगी है और दो टिकटें मेरे पास हैं, आज शाम हम वहाँ जाते जहाँ की पानीपुरी बहोत खास है अभी तो तुमने खाई है पिपलानी की मिठाई नहीं दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं... मैंने तुम्हारे जन्मदिन का केक मंगाकर रखा था एक छोटा सा तोहफा भी मैंने पैक कराकर रखा था ...
The 'Poet' made the 'Poem' &
The 'Poem' made the 'Poet'