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Showing posts from 2025

तुम मिलने आई नहीं

तुम मिलने आई नहीं  Image generated by Meta AI आईने के सामने कई दफा  प्यार का इजहार किया था  आज के दिन के लिए मैंने कैसे  खुद को तैय्यार किया था  ये बात मैंने किसी को बताई नहीं...  दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं... सोचा था मैंने कि आज तुमको  माता के दरबार लेकर जाऊँगा,  चरणों में गिरकर माता के मैं  अपने हिस्से का प्यार लेकर आऊंगा  क्या मैं इतना बुरा हूँ? मुझमें कोई अच्छाई नहीं?  दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं... तुम्हें मेरे शहर की नदी, झरने  और ठंडी हवा से मिलाने की जरूरत है  उन्हें भी तो दिखाऊँ कि  कोई उनसे भी खूबसूरत है  और इक गाने की फर्माइश थी जो तुमने सुनाई नहीं  दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं...  इक अच्छी फिल्म लगी है  और दो टिकटें मेरे पास हैं,  आज शाम हम वहाँ जाते  जहाँ की पानीपुरी बहोत खास है  अभी तो तुमने खाई है पिपलानी की मिठाई नहीं  दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं... मैंने तुम्हारे जन्मदिन का  केक मंगाकर रखा था  एक छोटा सा तोहफा भी  मैंने पैक कराकर रखा था  ...

माँ का खत

माँ का खत   Image Generated by Meta AI  ईट जोड़कर छोड़ दिया है,  अब पलस्तर ना करवाएंगे ...  बेटा तेरी नौकरी होगी  तो छत पर घर बनवाएंगे...  छत ढालने के पैसे नहीं हैं, अभी खप्पर ही लगवाएंगे... बेटा तेरी नौकरी होगी,  तो छत पर घर बनवाएंगे...  बरसात में खप्पर चुने लगेगा,  तो घर के सारे बर्तन लगवाएंगे,  बेटा तेरी नौकरी होगी,  तो छत पर घर बनवाएंगे...  कोचिंग के फीस के लिए खेत बेचा था,  वो इक दिन वापस खरीद ले आएंगे  बेटा तेरी नौकरी होगी,  तो छत पर घर बनवाएंगे...  इस बार की फसल खराब हो गई बेटा,  पर चिंता मत कर, हम आधे पेट तो खाएंगे...  बेटा तेरी नौकरी होगी,  तो छत पर घर बनवाएंगे... मेरे सोने के गहने गिरवी कर के  तेरे महीने के ख़र्चे भिजवाएंगे,  बेटा तेरी नौकरी होगी,  तो छत पर घर बनवाएंगे...  तेरी छोटी बहन कुंवारी है बेटा,  पैसे आने पर उसका सुहाग सजाएंगें बेटा तेरी नौकरी होगी,  तो छत पर घर बनवाएंगे...  तेरी बड़ी बहन के ससुराल वालों ने कहा है  कि मोटरसाइकिल दोगे तो...

प्यार नहीं करता

 प्यार नहीं करता Image Generated by Meta AI दूरी बढ़ी और बढ़ती गई और दो शख्स आम हो गए, दो अलग शहर में हम दो प्रेमी घड़ी के ग़ुलाम हो गए, पल पल खबर रखने वाला अब, याद इकबार नहीं करता वो करता है मुझसे प्यार, या प्यार नहीं करता... दिनभर रहता काम में मशगूल रात में थककर सो जाता है, मुझको वो शक्स वापस चाहिए जो हँसकर मुझमें खो जाता है, अब मैं बिंदी ना लगाऊँ, तो वो इंकार नहीं करता वो करता है मुझसे प्यार, या प्यार नहीं करता... अब कहता है कि छुट्टी नहीं है जिसने मिलने के वादे हजार किए थे, कॉलेज के ही दिन अच्छे थे, जब कूद के दीवारें पार किए थे, जिसका हर पल मेरा था, वो मेरे हिस्से इतवार भी नहीं करता वो करता है मुझसे प्यार, या प्यार नहीं करता.... हर सुबह उठकर सबसे पहले उसे मेरी आवाज की ख्वाहिश थी, मैं थोड़ा सा गुनगुना लूँ तो बस उसकी गाने की फर्माइश थी, अब मेरा गाना उसके दिल को बेकरार नहीं करता, वो करता है मुझसे प्यार, या प्यार नहीं करता... वो लड़का मुझसे लड़ता नहीं अब, रूठ जाऊँ तो मनाता नहीं, जो कहता था रानी बना कर रखेगा वो थोड़े से नखरे भी उठाता नहीं, जिसे पाकर मुझे ...

एक लड़की है...

Image generated by Meta AI एक लड़की है किसी के फोन का यूँ ही इंतजार करूं,  दिल कह तो रहा है फिर से प्यार करूं,  इक दोस्ती है जो गहराने लगी है,,  एक लड़की है जो पसंद आने लगी है... ना उसका कोई घर ना मेरा डगर है,  हम दोनों का अपना अलग ही सफर है, आते जाते हर मोड़ वो टकराने लगी है,,  एक लड़की है जो पसंद आने लगी है... वो एक मीठा सा दर्द होने लगा है,  मन फिर किसी के जुल्फों में खोने लगा है,  उसकी हँसी मेरे दिल पे छाने लगी है,,  एक लड़की है जो पसंद आने लगी है... दिल टूटा था मेरा, ठोकरें भी खाईं हैं,  मोहब्बत में आँसू उसने भी बहाई हैं,  एक दूसरे को देख के, वो पीड़ा जाने लगी है,,  एक लड़की है जो पसंद आने लगी है... "पता है आज क्या हुआ?" ये सुनने को बेताब रहता हूँ  वो दो पल मुस्कुरा दे... इसी में आबाद रहता हूँ  दिन की छोटी बड़ी बातें मुझे बताने लगी है,, एक लड़की है जो पसंद आने लगी है... एक अर्से बाद कोई मिला जो मेरे जैसा है,  जिसके लिए जरूरी है, कि इंसान दिल से कैसा है,  जो मुझे समझ कर, दिल में प्यार जगाने लगी है,,  एक ...

Govardhandhari

गोवर्धनधारी सुख समृद्धी से भरा ऐसा एक नगर था,  जिसमें गोवर्धन नामक एक डाकू का डर था,  एक दिन सेनापति सेना लेके उसके पीछे पड़ जाता है,  घोड़े पर पीछा करते, नगर में भगदड़ मच जाता है।  पास में पंडित परशुराम की सत्संग हो रही थी,  जान बचाते डाकू की साहस भंग हो रही थी,  घोड़ा छोड़ डाकू सत्संग में घुस जाता है  सर पर कपड़ा डाल श्रद्धालुओं के बीच में छुप जाता है।  पंडित जी कृष्ण की लीला गाते हैं,  कान्हा की बाल कहानी सबको सुनाते हैं,  आठ बरस का किशन गाय चराने जाता है,  पीताम्बर में सुसज्जित बालक मुरली बजाता है,  सोने की करधनी, बाजूबंध और सोने का मुकुट  मोर पंख लगाए हुए और लेके हाथ में लकुट  मनमोहन अपने सखा के साथ गायों को चराता है  ऐश्वर्य सा तेज लिए वो मंद मंद मुस्काता है।  सोना सोना सुनकर डाकू के कान खड़े हो जाते हैं  ऐसा धनी बालक सोच, दोनों आँख बड़े हो जाते हैं  सत्संग के बाद चुपके से डाकू पंडित के पास जाता है,  अपनी धारदार चाकू वो पंडित के गले पर ठहराता है।  मुरख डाकू कहता है कि जान तुम्हें है...