माँ का खत
ईट जोड़कर छोड़ दिया है,
अब पलस्तर ना करवाएंगे ...
बेटा तेरी नौकरी होगी
तो छत पर घर बनवाएंगे...
छत ढालने के पैसे नहीं हैं,
अभी खप्पर ही लगवाएंगे...
बेटा तेरी नौकरी होगी,
तो छत पर घर बनवाएंगे...
बरसात में खप्पर चुने लगेगा,
तो घर के सारे बर्तन लगवाएंगे,
बेटा तेरी नौकरी होगी,
तो छत पर घर बनवाएंगे...
कोचिंग के फीस के लिए खेत बेचा था,
वो इक दिन वापस खरीद ले आएंगे
बेटा तेरी नौकरी होगी,
तो छत पर घर बनवाएंगे...
इस बार की फसल खराब हो गई बेटा,
पर चिंता मत कर, हम आधे पेट तो खाएंगे...
बेटा तेरी नौकरी होगी,
तो छत पर घर बनवाएंगे...
मेरे सोने के गहने गिरवी कर के
तेरे महीने के ख़र्चे भिजवाएंगे,
बेटा तेरी नौकरी होगी,
तो छत पर घर बनवाएंगे...
तेरी छोटी बहन कुंवारी है बेटा,
पैसे आने पर उसका सुहाग सजाएंगें
बेटा तेरी नौकरी होगी,
तो छत पर घर बनवाएंगे...
तेरी बड़ी बहन के ससुराल वालों ने कहा है
कि मोटरसाइकिल दोगे तो ही गौना करवाएंगे
बेटा तेरी नौकरी होगी,
तो छत पर घर बनवाएंगे...
गैया हम गिरवी रख कर तेरे
बाबुजी के आँखों का ऑपरेशन करवाएंगे
बेटा तेरी नौकरी होगी,
तो छत पर घर बनवाएंगे...
अफ़सर बन कर आना बेटा,
तेरे लिए सुंदर दुल्हन लाएंगे
बेटा तेरी नौकरी होगी,
तो छत पर घर बनवाएंगे...
..................................एक महीने बाद ..............................
किसको पता था कि बेटे के इम्तेहान में
इतने नंबर ही ना आ पाएंगे,
छत बनवाने वाले बेटे को
छत पर लटका पाएंगे,
बेटे के लाश में रखी चिट्ठी को
आप बिना रोए ना पढ़ पाएंगे
"माँ, मुझे माफ़ करना हम
छत का घर ना बनवा पाएंगें"
मेहनत तो की थी माँ लेकिन रंग ना ला पाया...
तेरा सबसे लाडला बेटा... अफसर ना बन पाया...
-दीपक कुमार साहू
11th April 2025
04:02:13 PM
Mere akho mei Pani agaya Bhai ...
ReplyDeleteSome how matches the story of industrious student of every middle class family. Keep writing dear ......
Thank you Sir 😇
DeleteVery touching poem sir.
ReplyDeleteThank you bhai 😇
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