Image Generated by Meta AI रहे दुनिया में कहीं भी पर इस दिन संग आते हैं बिखरे बिखरे मोती छठ के धागे में बंध जाते हैं... ये चार दिन साथ पूरा परिवार होता है, कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... भोरे भोर नहाकर सब कद्दू भात खाते हैं, सात्विक भोजन का अर्थ सारी दुनिया को समझाते हैं, साफ़ हमारा अच्छी तरह घर द्वार होता है, कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... लकड़ी के चूल्हे पर खरना का प्रसाद बनाते हैं बच्चे बूढे रोटी खीर, केले के पत्ते पर खाते हैं दिनभर की भूखी व्रती का ये एकमात्र फलाहार होता है कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... अगले दिन, बाँस की टोकरी में सारे फल सजाते हैं विश्व-प्रसिद्ध, सबसे स्वादिष्ट, ठेकुआ हम पकाते हैं... पाँव में अलता और सिंदूर का श्रृंगार होता है कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... मैथल - मगही में सभी लोकगीत गाते हैं अमीर - गरीब नंगे पाँव चलके घाट आते हैं सर पर रखा दउरा जिम्मेदारी का भार होता है कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... फल फूल, धूप कपूर, घाट पर शोभा पाते हैं, साँझ होते ही डूबते सूरज को जल चढ़ाते हैं होठों पर इक बूँद नहीं पर चारों
Image Generated from Meta AI अगर प्यार में ये दिल मेरा, हारा ना होता, ये शायरी ना होती, ये मुशायरा ना होता... मैं सामने बैठे, ब्लैक-बोर्ड ही देखता रह जाता, काँधे पे हाथ रख, तुमने अगर पुकारा ना होता... देख कर तुम्हें मेरी धड़कन यूँ ना बढ़ती उम्र का वो बरस अगर अठारह ना होता... दिवाली की उसी रात को ही मर जाता मैं अगर, एक कान में पहना झुमका तुमने उतारा ना होता... हम किसी और को भी ये दिल दे देते अगर साड़ी पहनकर तुमने खुदको संवारा ना होता... बात मेरे प्यार की दुनिया में ना आती अगर दोस्तों के पूछने पर मैंने स्वीकारा ना होता... प्यार मेरा बढ़ता गया, नंबर मेरे कमते गए, अब रातों को बिन बात किए मेरा गुजारा ना होता... सपनों में रोज़ तुम मिलने चली आती थी, काश तेरे तस्वीर को मैंने इतना निहारा ना होता... अपने दिल के प्यार को, दिल में ही रखता अगर, तो दोस्ती और प्यार का यूं बंटवारा ना होता... इमरोज के प्यार को मिल जाती एहमियत अगर तो दुनिया की नजर में, मैं भी बेचारा ना होता... तुम होती, मैं होता और हमारे तीन बच्चे होते, किस्मत ने मुझे अगर ठोकर मारा ना होता... वो आज भी मुझसे कहती ह