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एक लड़की है...

Image generated by Meta AI एक लड़की है किसी के फोन का यूँ ही इंतजार करूं,  दिल कह तो रहा है फिर से प्यार करूं,  इक दोस्ती है जो गहराने लगी है,,  एक लड़की है जो पसंद आने लगी है... ना उसका कोई घर ना मेरा डगर है,  हम दोनों का अपना अलग ही सफर है, आते जाते हर मोड़ वो टकराने लगी है,,  एक लड़की है जो पसंद आने लगी है... वो एक मीठा सा दर्द होने लगा है,  मन फिर किसी के जुल्फों में खोने लगा है,  उसकी हँसी मेरे दिल पे छाने लगी है,,  एक लड़की है जो पसंद आने लगी है... दिल टूटा था मेरा, ठोकरें भी खाईं हैं,  मोहब्बत में आँसू उसने भी बहाई हैं,  एक दूसरे को देख के, वो पीड़ा जाने लगी है,,  एक लड़की है जो पसंद आने लगी है... "पता है आज क्या हुआ?" ये सुनने को बेताब रहता हूँ  वो दो पल मुस्कुरा दे... इसी में आबाद रहता हूँ  दिन की छोटी बड़ी बातें मुझे बताने लगी है,, एक लड़की है जो पसंद आने लगी है... एक अर्से बाद कोई मिला जो मेरे जैसा है,  जिसके लिए जरूरी है, कि इंसान दिल से कैसा है,  जो मुझे समझ कर, दिल में प्यार जगाने लगी है,,  एक ...
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Govardhandhari

गोवर्धनधारी सुख समृद्धी से भरा ऐसा एक नगर था,  जिसमें गोवर्धन नामक एक डाकू का डर था,  एक दिन सेनापति सेना लेके उसके पीछे पड़ जाता है,  घोड़े पर पीछा करते, नगर में भगदड़ मच जाता है।  पास में पंडित परशुराम की सत्संग हो रही थी,  जान बचाते डाकू की साहस भंग हो रही थी,  घोड़ा छोड़ डाकू सत्संग में घुस जाता है  सर पर कपड़ा डाल श्रद्धालुओं के बीच में छुप जाता है।  पंडित जी कृष्ण की लीला गाते हैं,  कान्हा की बाल कहानी सबको सुनाते हैं,  आठ बरस का किशन गाय चराने जाता है,  पीताम्बर में सुसज्जित बालक मुरली बजाता है,  सोने की करधनी, बाजूबंध और सोने का मुकुट  मोर पंख लगाए हुए और लेके हाथ में लकुट  मनमोहन अपने सखा के साथ गायों को चराता है  ऐश्वर्य सा तेज लिए वो मंद मंद मुस्काता है।  सोना सोना सुनकर डाकू के कान खड़े हो जाते हैं  ऐसा धनी बालक सोच, दोनों आँख बड़े हो जाते हैं  सत्संग के बाद चुपके से डाकू पंडित के पास जाता है,  अपनी धारदार चाकू वो पंडित के गले पर ठहराता है।  मुरख डाकू कहता है कि जान तुम्हें है...

छठ पूजा

Image Generated by Meta AI रहे दुनिया में कहीं भी पर इस दिन संग आते हैं  बिखरे बिखरे मोती छठ के धागे में बंध जाते हैं...  ये चार दिन साथ पूरा परिवार होता है,  कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है...  भोरे भोर नहाकर सब कद्दू भात खाते हैं,  सात्विक भोजन का अर्थ सारी दुनिया को समझाते हैं,  साफ़ हमारा अच्छी तरह घर द्वार होता है,  कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है...  लकड़ी के चूल्हे पर खरना का प्रसाद बनाते हैं  बच्चे बूढे रोटी खीर, केले के पत्ते पर खाते हैं  दिनभर की भूखी व्रती का ये एकमात्र फलाहार होता है  कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है...  अगले दिन, बाँस की टोकरी में सारे फल सजाते हैं  विश्व-प्रसिद्ध, सबसे स्वादिष्ट, ठेकुआ हम पकाते हैं...  पाँव में अलता और सिंदूर का श्रृंगार होता है  कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है...  मैथल - मगही में सभी लोकगीत गाते हैं  अमीर - गरीब नंगे पाँव चलके घाट आते हैं सर पर रखा दउरा जिम्मेदारी का भार होता है कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... फल फूल, धूप कपूर, घाट पर शोभ...

टूटता तारा

Image Generated from Meta AI   अगर प्यार में ये दिल मेरा, हारा ना होता,  ये शायरी ना होती, ये मुशायरा ना होता...  मैं सामने बैठे, ब्लैक-बोर्ड ही देखता रह जाता,  काँधे पे हाथ रख, तुमने अगर पुकारा ना होता...  देख कर तुम्हें मेरी धड़कन यूँ ना बढ़ती  उम्र का वो बरस अगर अठारह ना होता...  दिवाली की उसी रात को ही मर जाता मैं अगर,  एक कान में पहना झुमका तुमने उतारा ना होता... हम किसी और को भी ये दिल दे देते अगर  साड़ी पहनकर तुमने खुदको संवारा ना होता...  बात मेरे प्यार की दुनिया में ना आती अगर  दोस्तों के पूछने पर मैंने स्वीकारा ना होता...  प्यार मेरा बढ़ता गया, नंबर मेरे कमते गए,  अब रातों को बिन बात किए मेरा गुजारा ना होता...  सपनों में रोज़ तुम मिलने चली आती थी,  काश तेरे तस्वीर को मैंने इतना निहारा ना होता...  अपने दिल के प्यार को, दिल में ही रखता अगर,  तो दोस्ती और प्यार का यूं बंटवारा ना होता...  इमरोज के प्यार को मिल जाती एहमियत अगर  तो दुनिया की नजर में, मैं भी बेचारा ना होता...  तुम होती...

जरूरी था...?

जज सहाब की मोहर ने मुझे  अकेले रोता छोड़ दिया...  साथ जन्म के रिश्ते को  कानूनी पंडितों ने तोड़ दिया...  कैसे बाटेंगे वो दिन और रात  जो तुमने हमने साथ गुजारे...  ठीक है सारे अच्छे दिन तुम्हारे  और बाकी बुरे दिन हमारे....  चलो उज्जवल भविष्य तुम्हें मुबारक  वो बिता हुआ अतीत मेरे हिस्से है...  तुम्हारी मानो तो तुम सही, मेरी मानो तो मैं  किरदार सभी समान लेकिन अलग अलग किस्से हैं...  ईश्वर की कृपा से बस एक बेटा है  जो तुम्हें मुझसे ज्यादा चाहता है,  माँ - माँ की लत लगाए  तुम्हारे पल्लू से बंधा रहता है,  उसे सोमवार से शनिवार तुम रख लेना,  इतवार मुझे दे देना बस... बेटे से रोज मिलना भी मना है,  सरकारी फरमान ने यूँ किया बेबस...  सारे बर्तन चूल्हा चौकी तुम ले जाना, खाना बनाना तो मैंने कभी सीखा ही नहीं.. जीवन में तुम्हारे आने के बाद,  रसोई का चेहरा मैंने देखा ही नहीं..  हर महीने तुम्हें पैसे भिजवा दूँगा  पर जेब से मेरी अब पैसे कौन निकालेगा... दूध का खर्चा, धोबी का बकाया,  इन सब का हिसा...

Kuch bhi nahi

शब्दार्थ   महताब - चाँद, रुखसार - गाल, चारा-साज़ - डॉक्टर, जॉन - Jaun Elia कुछ भी नहीं  ईद का महताब उसके रुखसार के अलावा कुछ भी नहीं  और मेरे प्यार में, इंतज़ार के अलावा कुछ भी नहीं... उसे देखा तो जाना कि, परियों की दुनियाँ सच्ची है,, मैं तो मानता था, ब्राह्मण में इस संसार के अलावा कुछ भी नहीं... वो एक बार देख लेती है और मैं मर जाता हूँ,, आँखें उसकी सच बोलूँ, एक हथियार के अलावा कुछ भी नहीं... सुबह होती है और मैं सपने भूल जाता हूँ,, याद बस उसकी पायल की झनकार के अलावा कुछ भी नहीं... मेरे दिल के घर को बस तुमने ही हथियाया है,,  और मैं तेरे दिल के किराए-दार के अलावा कुछ भी नहीं... तू कहानी है मेरी... तू मेरी जिंदगी है...  मैं तेरी जिंदगी में एक किरदार के अलावा कुछ भी नहीं...  उसे जो पसंद है वो तोहफे महंगे आते हैं,, और मेरे जेब में रुपये चार के अलावा कुछ भी नहीं... मुझे खुद से मेहनत करना है और जग में आगे बढ़ना है,, विरासत में मिला मुझे संस्कार के अलावा कुछ भी नहीं... मैंने भी कमाएं हैं जिंदगी में कुछ ऐसे रिश्ते,, कि दौलत के नाम पर दो यार के अलावा कुछ भी नहीं... स...

Shabdo ka Sahara

  अगर मेरा महबूब इतना प्यारा ना होता, हर बाजी जितने वाला लड़का दिल हरा ना होता। उससे बात करने की कभी हिम्मत नहीं होती, पता पूछने को उसने अगर पुकारा ना होता। दो बिल्कुल जुदा लोग कभी प्यार में ना पड़ते,  अगर ईश्वर का इसमे कोई इशारा ना होता।  हम दोनों साथ में इतने खुश नजर नहीं आते तो,  लोगों में चर्चा फिर हमारा ना होता।  कॉलेज की आखिरी दिवाली रोशन ही ना होती अगर साड़ी पहन कर तुमने खुदको संवारा ना होता। झुकी नजर वाली तेरी तस्वीर और भी सुंदर आती  अगर काली बिंदी माथे से तुमने उतारा ना होता। तेरे पास रहने पर तो मैं भी खिल उठता हूँ, तेरे बगैर खूबसूरत कोई नजारा ना होता। जुदा होने में कितना दर्द है ये खबर ही ना होती अगर,  वो आखिरी शाम मेरे संग तुमने गुजारा ना होता।  सालों हमने साथ साथ एक ही कश्ती में सफर किया,  काश हमारा अलग - अलग किनारा ना होता।  होती मेरे रुबरु तो आँखों में पढ़ लेती तुम,  फिर काग़ज़ कलम और शब्दों का सहारा ना होता।  -दीपक कुमार साहू  6th March 2023 12: 37 AM