Image Generated from Meta AI अगर प्यार में ये दिल मेरा, हारा ना होता, ये शायरी ना होती, ये मुशायरा ना होता... मैं सामने बैठे, ब्लैक-बोर्ड ही देखता रह जाता, काँधे पे हाथ रख, तुमने अगर पुकारा ना होता... देख कर तुम्हें मेरी धड़कन यूँ ना बढ़ती उम्र का वो बरस अगर अठारह ना होता... दिवाली की उसी रात को ही मर जाता मैं अगर, एक कान में पहना झुमका तुमने उतारा ना होता... हम किसी और को भी ये दिल दे देते अगर साड़ी पहनकर तुमने खुदको संवारा ना होता... बात मेरे प्यार की दुनिया में ना आती अगर दोस्तों के पूछने पर मैंने स्वीकारा ना होता... प्यार मेरा बढ़ता गया, नंबर मेरे कमते गए, अब रातों को बिन बात किए मेरा गुजारा ना होता... सपनों में रोज़ तुम मिलने चली आती थी, काश तेरे तस्वीर को मैंने इतना निहारा ना होता... अपने दिल के प्यार को, दिल में ही रखता अगर, तो दोस्ती और प्यार का यूं बंटवारा ना होता... इमरोज के प्यार को मिल जाती एहमियत अगर तो दुनिया की नजर में, मैं भी बेचारा ना होता... तुम होती, मैं होता और हमारे तीन बच्चे होते, किस्मत ने मुझे अगर ठोकर मारा ना होता... वो आज भी मुझसे कहती ह
"Pain" & "Die"ry
The 'Poet' made the 'Poem' &
The 'Poem' made the 'Poet'