क्या करूँ? Image Credit : Meta AI कोई दिल को इतना भा जाए तो क्या करूँ? वो आँखों में देख के मुस्कुराए तो क्या करूँ? उससे प्यार नहीं करने का, वादा तो कर लिया, वो बिंदी लगा के आ जाए तो क्या करूँ? शर्माने का काम तो उसका होना चाहिए, वो हद से ज्यादा पास आ जाए तो क्या करूँ? बंद कमरे में रहने की आदत सी हो गयी थी वो सरे बाजार मुझे घुमाए तो क्या करूँ? दुनिया से छिपा के रखना तो चाहता था उसे मेरे बाहों में वो अपना हाथ सजाए तो क्या करूँ? उसे छुने से परहेज तो कर रखा था मैंने, वो हाथों से खाना खिलाए तो क्या करूँ? उससे बातें - वातें, बंद कर दूँगा सोचा था, वो सामने मेरे रख दे चाय तो क्या करूँ? कर देंगे नजर-अंदाज उसकी बातों को वो आँखों से आँखें मिलाए तो क्या करूँ? ये उजड़ा दिल आबाद ना होगा, मान लिया था, कोई बस जाए बिना किराए तो क्या करूँ? रूठ जाने का इरादा तो कर लिया था मैंने वो काजल लगा के आ जाए तो क्या करूँ? बहुत कोशिश की थी यार!! कि उससे प्यार ना करूँ, वो साड़ी पहन के झुमके लहराए तो ...
तुम मिलने आई नहीं Image generated by Meta AI आईने के सामने कई दफा प्यार का इजहार किया था आज के दिन के लिए मैंने कैसे खुद को तैय्यार किया था ये बात मैंने किसी को बताई नहीं... दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं... सोचा था मैंने कि आज तुमको माता के दरबार लेकर जाऊँगा, चरणों में गिरकर माता के मैं अपने हिस्से का प्यार लेकर आऊंगा क्या मैं इतना बुरा हूँ? मुझमें कोई अच्छाई नहीं? दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं... तुम्हें मेरे शहर की नदी, झरने और ठंडी हवा से मिलाने की जरूरत है उन्हें भी तो दिखाऊँ कि कोई उनसे भी खूबसूरत है और इक गाने की फर्माइश थी जो तुमने सुनाई नहीं दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं... इक अच्छी फिल्म लगी है और दो टिकटें मेरे पास हैं, आज शाम हम वहाँ जाते जहाँ की पानीपुरी बहोत खास है अभी तो तुमने खाई है पिपलानी की मिठाई नहीं दिन ढल गया तुम मिलने आई नहीं... मैंने तुम्हारे जन्मदिन का केक मंगाकर रखा था एक छोटा सा तोहफा भी मैंने पैक कराकर रखा था ...