रोज कहकर जाते हैं, आज जल्दी घर आ जाएँगे,
रोज सुबह 9 से रात के 10 बजे जा रहे हैं,
ऐ जिंदगी तेरे मजे नहीं आ रहे हैं...
ये पता है कि पीछे से वार किसने किया है,
फिर भी चुप चाप ज़ख्म सीए जा रहे हैं,
ऐ जिंदगी तेरे मजे नहीं आ रहे हैं...
रोने का मन कर रहा है हमारा,
पर आँसू के घूंट पीए जा रहे हैं,,
ऐ जिंदगी तेरे मजे नहीं आ रहे हैं...
अब खुद से प्यार नहीं रहा पर,
दूसरों के खातिर सजे जा रहे हैं,
ऐ जिंदगी तेरे मजे नहीं आ रहे हैं...
एक सच है जो हम शुरू से जानते हैं,
फिर भी झूठे वादे किए जा रहे हैं,
ऐ जिंदगी तेरे मजे नहीं आ रहे हैं...
ये किताब भी हम पढ़ेंगे नहीं,
ना जाने फिर भी क्यूँ लिए जा रहे हैं?
ऐ जिंदगी तेरे मजे नहीं आ रहे हैं...
जानते हैं हम तैय्यार नहीं हैं,
फिर भी हर इम्तेहान दिए जा रहे हैं,
ऐ जिंदगी तेरे मजे नहीं आ रहे हैं...
एक जिंदगी है जो हम जीना चाहते हैं,
एक जिंदगी हम जिए जा रहे हैं,
ऐ जिंदगी तेरे मजे नहीं आ रहे हैं...
ऐ जिंदगी तेरे मजे नहीं आ रहे हैं…
-दीपक कुमार साहू
26/04/2022
05:02 PM
Relatable. 😅
ReplyDeleteRight story of every aspirants
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