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Shayari No. 5

 Shayari No. 5

ये पल पल का कोसना, ताने और बद्दुआएं तेरी,

सह लेता हूँ चुप चाप, क्यूँकि

जब टूटा था मैं, तब बिखरने से बचा लिया था तूने


इसीलिए तेरा कर्जदार हूँ मैं....



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