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मुश्किल से।

Pic Credit : Preet Tripathy 

मुश्किल से मुलाकात तक,
तड़प से ताल्लुकात तक,
खुद में, खुदा की एहतियात तक,
मुश्किल से,
फिर से, सिमटने लगा हूँ,

मुश्किल से मेहनत तक,
फासलों से फैसलों तक,
रुकावट से रास्तों तक,
फिर से,
मुश्किल से,
सच्चाई तक,
खुद को, समेटने लगा हूँ।

मुश्किल से, अंत तक,
मुश्किल से नई शुरुवात तक,
जो पहले धुँधले थे,
उन रास्तों से बनी अब नई ताल्लुकात तक,
मुश्किल से,
फिर से, संभल गया हूँ।

मुश्किल से,
बारिश और तूफ़ान में,
उस अंधे अँधेरे श्मशान से,
बेवकूफी कहूँ या समझदारी,
मुश्किल से निकल आया ।

मुश्किल से, जीना सीख गया,
फिर से,, झूठ को झुठला कर,
हक़ीक़त का कड़वा घूँट पीना सीख गया,
कमियाँ, है मुझमें,
काफी है,, पर पैर जमीं पर रख,
उड़ने के लिए,
मैं झुका पर
फिर से,
मुश्किल से,
फटी पुरानी, कमीज़ खुद से सीना सीख गया।।

$hiवा रjak..
62th poem.
6th september 2018.
8:02 pm

Comments

  1. Beautiful poem shiva.. Deep meaning. Keep writing 😊😊

    ReplyDelete
  2. Thanks to all, glad all of u liked it!
    Soon Publishing one more poem.
    बदरंग।।
    Hope so u may like it more"".

    ReplyDelete
  3. Ya really it has a very deep meaning .keep it up .....shiva
    .....waiting for the next poem.

    ReplyDelete
    Replies
    1. It's been published , you can now read it☺️☺️

      Delete

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