लड़कपन में प्रिय
के गीत गा रहा हूँ,
मैं डगमगा रहा हूँ,
लड़कपन में,
खो बैठा हूँ होशोहवास,
मैं सम्भाल नही,
सिर्फ इतरा रहा हूँ,
मैं डगमगा रहा हूँ।
प्रिय को भी
कर रहा हूँ परेशान,
माँ पे भी चिल्ला रहा हूँ,
मैं बेमिज़ाज़ हो रहा हूँ,
मैं डगमगा रहा हूँ।
अस्तित्व भूल गया हूँ,
खुद को बीरबल सा ज्ञानी,
या कोई नायाब सा अवतार समझ रहा हूँ,
मैं गलत हूँ न,
हाँ मैं डगमगा रहा हूँ,
लड़कपन में मैं,
लड़कपन में प्रिय,
दूर सब से बिछड़ रहा हूँ,
मैं छिड़ रहा हूँ,।
लड़कपन में प्रिय के
गीत गा रहा हूँ,
मैं डगमगा रहा हूँ।..
-Shiva Rajak
27may 2019
Good job shiva... Keep writing.
ReplyDeleteThis Poem shows the mess in the head... While everything is going wrong.
Thanks bhaiya,😁😁😋
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