Drawing by Shiva Rajak |
बडा मंझा सा था वो सब,
जवाब हाँ :" था
साफ इनकार न था,
वो कुछ दिनों का था
जो प्यार न था ।
हैसियत से बंधी थी
इस बंधन की जोड़ी,
फरेब ,झूठ से संझि ,
इश्क़ बेकार ही था
वो प्यार न था।
काल्पनिक ख्यालो को गूंद
करने भर की कोशिश थी, उसकी
एक दिल को दूसरे दिल
से जरूरत पूरी करने तक की साजिश थी, उसकी
इश्क़ मेरी तरफ से साफ था,
जो एक तरफा था बस,
वो प्यार न था।
सुना था ,
यादों का नही होता अंत,
वो किसी से भी हो,
सच्चा इश्क़ हो तो ,
तो हो जाता है अनंत।
दूर जाए कोई भी इश्क़ में,
तो खामोशियाँ सर चढ़ चीख उठती है,
सच में क्या?
मेरे कहानी में तो ऐसा कुछ न था,
सच कहूँ,
यार वो प्यार न था।
वो सब कुछ दिनों की जुगलबंदी,
विश्वास घात से बंधी,
और इंसानियत नाते सच में अंधी
ये रूह के भूख से सजी,
सब बेकार ही था, सब बेकार ही था,
वो जो था न ,सच में प्यार न था।
वो प्यार न था।
`Writer
Shiva rajak.
29 nov. 2019
8:51 pm.
Bht bhaiyaa bdee bhaii😍😘😘😘
ReplyDeleteThanks bhai😘
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