A Tribute to our Teachers दोस्तों मेरे, ध्यान से देखो उस तरुवर को। ऐसा नहीं लगता कि हमारे गुरुवर हो। हमारे पेड़ रूपी गुरुओं के जीवन में हम छात्र। तो हैं केवल कुछ पक्षी मात्र। जिस तरह पेड़ की डाली पर पक्षी का डेरा होता है। ठीक उसी तरह शिक्षक के दिलों में हमारा बसेरा होता है। शीत हो या ग्रीष्म, हर मौसम की मार से से हमको बचाया था। वो पेड़ जैसे गुरु ही थे जिन्होंने हम पर छत्रछाया पहुँचाया था। होश सम्भालने के बाद इनका हम पे ऐसा हुआ असर। कि पक्षी ने पेड़ को और हमने विद्यालय को मान लिया था अपना घर। पेड़ रूपी शिक्षक ने ही सिखाया एक दूसरे से जुड़ना। दूर क्षितिज में हुनर के पंख लगाकर उड़ना। उड़ने की शुरुआती कोशिश में धीरे धीरे। जब धरातल में औंधे मुँह गिरे। तब यही था वो घर, यही था वो घोसला। जिसने वापस दिलाया, हिम्मत और हौसला। इन्हीं के कारण कई बार सफलता ने हमारे कदम चूमे। तब हमारे चहकने पर, वे भी हमारे संग झूमे। इनकी शीतल छाया हेतु कई मुसाफिर इनकी छाया में रुकते हैं। पेड़ की भाँति गुणी होने के कारण ही वे विनम्रत...
The 'Poet' made the 'Poem' &
The 'Poem' made the 'Poet'