मैं डगर में,
कुछ यादों के साथ,
कुछ बेखबर मैं।
जूझता हुआ आज से,
कल की फिकर में,
मैं झूठ हूँ खुद में,
या कोई सच के सफर में।
पागल हुआ हूँ करारा,
या हूँ कोई ना उभरा,
बुझता हुआ सितारा।
हूँ उस रास्ते मैं जहाँ
से दिखता न कोई किनारा।
मैं हमसफर हूँ खुद का,
मैं ही हूँ मेरी ज़िन्दगी का सहारा,
सच बताना,
कौन आएगा साथ चलने मेरे ,
जब हो जाऊँगा मैं मौत को प्यारा।
मैं हूँ एक चेहरा,
जिसपे रहता है ,
खामोशियों का पहरा,
रेत हूँ मैं फिसल जाता हूँ,
देख दुसरों को, खुद
मैं ही मसल जाता हूँ।
मैं हूँ एक नाम, शायद जिसका कोई वजूद नहीं,
लाश मैं, हूँ तलाश में,
उस मेरे ही नाम का,
हो वही सरफिरा काश मैं।
उस नाम की तलाश में, मैं तलाश में।
Writer_
Shiva rajak.
13.nov.2018
/. 6:21 pm
Beautiful poem... Symbolic. Keep writing. Nice one shiva
ReplyDeleteHappy you liked it bhaiya.☺️
DeleteNice
ReplyDeleteKya baat hai
ReplyDelete😊👌
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