Art By : Ananya Behera जो हर आशिक का सपना है, उसे किसी का ख़्वाब क्या दूँ। जिसके भीतर रब दिखता है, उसे कोई खिताब क्या दूँ। उसके आँखों में नशा है अलग, बोलो उसे शराब क्या दूँ। सज - धज कर पूछे कि “कैसी लग रही हूँ?” जो खुद ही ला-जवाब है, उसे कोई जवाब क्या दूँ। जिसकी सूरत में तेज़ है अनुपम उसे वो आफ़ताब क्या दूँ। जो शांत, शालीन, निर्मल है इतनी उसे मैं मेहताब क्या दूँ। खट्टे - मीठे यादों का उसको हिसाब क्या दूँ। जो खुद में मुकम्मल गुलिस्तां है, उसे बस एक गुलाब क्या दूँ। -दीपक कुमार साहू 23/09/2018 04:41:10 PM शब्दार्थ अ नुपमा - Someone who is incomparable खिताब - Titles आफताब - Sun शालीन - Modest मेहताब - Moon मुकम्मल - Complete गुलिस्तां - Garden
The 'Poet' made the 'Poem' &
The 'Poem' made the 'Poet'