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Showing posts from January, 2025

Govardhandhari

गोवर्धनधारी Inspired by Satsang of Premanand ji सुख समृद्धी से भरा ऐसा एक नगर था,  जिसमें गोवर्धन नामक एक डाकू का डर था,  एक दिन सेनापति सेना लेके उसके पीछे पड़ जाता है,  घोड़े पर पीछा करते, नगर में भगदड़ मच जाता है।  पास में पंडित परशुराम की सत्संग हो रही थी,  जान बचाते डाकू की साहस भंग हो रही थी,  घोड़ा छोड़ डाकू सत्संग में घुस जाता है  सर पर कपड़ा डाल श्रद्धालुओं के बीच में छुप जाता है।  पंडित जी कृष्ण की लीला गाते हैं,  कान्हा की बाल कहानी सबको सुनाते हैं,  आठ बरस का किशन गाय चराने जाता है,  पीताम्बर में सुसज्जित बालक मुरली बजाता है,  सोने की करधनी, बाजूबंध और सोने का मुकुट  मोर पंख लगाए हुए और लेके हाथ में लकुट  मनमोहन अपने सखा के साथ गायों को चराता है  ऐश्वर्य सा तेज लिए वो मंद मंद मुस्काता है।  सोना सोना सुनकर डाकू के कान खड़े हो जाते हैं  ऐसा धनी बालक सोच, दोनों आँख बड़े हो जाते हैं  सत्संग के बाद चुपके से डाकू पंडित के पास जाता है,  अपनी धारदार चाकू वो पंडित के गले पर ठहराता है। ...