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Showing posts from July, 2024

Shayari No 88

कागज़ की कश्ती थी पर,  लहरों से टकरा गया...  टूटा दिल उसका जब,  साहिल ने ठुकरा दिया... 

जरूरी था...?

जज सहाब की मोहर ने मुझे  अकेले रोता छोड़ दिया...  साथ जन्म के रिश्ते को  कानूनी पंडितों ने तोड़ दिया...  कैसे बाटेंगे वो दिन और रात  जो तुमने हमने साथ गुजारे...  ठीक है सारे अच्छे दिन तुम्हारे  और बाकी बुरे दिन हमारे....  चलो उज्जवल भविष्य तुम्हें मुबारक  वो बिता हुआ अतीत मेरे हिस्से है...  तुम्हारी मानो तो तुम सही, मेरी मानो तो मैं  किरदार सभी समान लेकिन अलग अलग किस्से हैं...  ईश्वर की कृपा से बस एक बेटा है  जो तुम्हें मुझसे ज्यादा चाहता है,  माँ - माँ की लत लगाए  तुम्हारे पल्लू से बंधा रहता है,  उसे सोमवार से शनिवार तुम रख लेना,  इतवार मुझे दे देना बस... बेटे से रोज मिलना भी मना है,  सरकारी फरमान ने यूँ किया बेबस...  सारे बर्तन चूल्हा चौकी तुम ले जाना, खाना बनाना तो मैंने कभी सीखा ही नहीं.. जीवन में तुम्हारे आने के बाद,  रसोई का चेहरा मैंने देखा ही नहीं..  हर महीने तुम्हें पैसे भिजवा दूँगा  पर जेब से मेरी अब पैसे कौन निकालेगा... दूध का खर्चा, धोबी का बकाया,  इन सब का हिसाब कौन संभालेगा...  शादी का जोड़ा तुम लेकर जाना पर  शादी की एल्बम मत ले जाना...  तुम्हें तो पता है मुझे कितना पसंद