Image Generated by Meta AI रहे दुनिया में कहीं भी पर इस दिन संग आते हैं बिखरे बिखरे मोती छठ के धागे में बंध जाते हैं... ये चार दिन साथ पूरा परिवार होता है, कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... भोरे भोर नहाकर सब कद्दू भात खाते हैं, सात्विक भोजन का अर्थ सारी दुनिया को समझाते हैं, साफ़ हमारा अच्छी तरह घर द्वार होता है, कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... लकड़ी के चूल्हे पर खरना का प्रसाद बनाते हैं बच्चे बूढे रोटी खीर, केले के पत्ते पर खाते हैं दिनभर की भूखी व्रती का ये एकमात्र फलाहार होता है कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... अगले दिन, बाँस की टोकरी में सारे फल सजाते हैं विश्व-प्रसिद्ध, सबसे स्वादिष्ट, ठेकुआ हम पकाते हैं... पाँव में अलता और सिंदूर का श्रृंगार होता है कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... मैथल - मगही में सभी लोकगीत गाते हैं अमीर - गरीब नंगे पाँव चलके घाट आते हैं सर पर रखा दउरा जिम्मेदारी का भार होता है कुछ ऐसा पावन छठ का त्योहार होता है... फल फूल, धूप कपूर, घाट पर शोभ...
The 'Poet' made the 'Poem' &
The 'Poem' made the 'Poet'