ओझल - ओझल हर पल - पल सहम - सहम कर ढल - ढल जाए ज़िन्दगी मे दिन- दिन होते ऐसे के बदल- बदल जाए। दर - दर फिरे - फिरे डर - डर गिरे - गिरे घर - घर उमीद हाथो से फिसल - फिसल जाए , दिन - दिन ऐसे - ऐसे बस ढल- ढल जाए। मौके छूटते- छटते है कही निकल - निकल जाए फिर ये दिल दुबक के , डर के सहम - सहम कर फिर से संभल - संभल जाए। कहि कही पर होनी तो होगी मंज़िल - मंज़िल जहा ले जा रहा है ये दिल- दिल । दिन- दिन निकल - निकल असफलता का सफर सफल - सफल दिन ढल -ढल जीत - जीत है कल - कल । तू चले चल , दिन ढले , रातें मे बदल जाए कल। Writer Shiva rajak 5 feb 2020 1.24 am
The 'Poet' made the 'Poem' &
The 'Poem' made the 'Poet'