अभी बस दिन भर काम किया है, अभी तो पूरी शाम बाकी है... अभी तो चंद लोग जानते हैं मुझे, दुनिया में करना नाम बाकी है... मैं हार जाऊँ ऐसा हो नहीं सकता, जब तक ना जीत लूँ, कहूँगा अंजाम बाकी है... दो मुलाकात में मुझे राम ना समझ लेना, अंदर मेरे नटखट घनश्याम बाकी है... दोस्त शराब पीकर चले गए, मैं बैठा रह गया, वो आई नहीं उसके आँखों का जाम बाकी है... वो कातिल है, देख ले एक नजर तो मर जाता हूँ, और दिल भी चुराया है, चोरी का इल्ज़ाम बाकी है रास्ते पर तुमने नजरअन्दाज कर दिया, अगली बार मिलना, दुआ सलाम बाकी है… याद है एक बात शुरू की थी तुमने, उस पर पूर्ण विराम बाकी है... "अच्छा सुनो..." कहकर तुम चुप हो गई थी, तुम कहकर जो ना कह पाई वो पयाम बाकी है... चंद पैसों के लिए खुद को नीलाम किया है, वक़्त आने दो, मेरा सही दाम बाकी है... अभी तो बस कुछ शायरी लिखी है, लिखना पूरा कलाम बाकी है... तुम दर्द देके अरे कहाँ चल दिये,, याद रखना मेरा इंतकाम बाकी है… -दीपक कुमार साहू 23rd March 2022
The 'Poet' made the 'Poem' &
The 'Poem' made the 'Poet'